Friday, April 24, 2015

भाभी की चुदाई


लेखक: विवेक वर्मा
हैलो! दोस्तों मेरा नाम विवेक वर्मा है मैं दिल्ली से हूं।  मैं अपनी एक स्टोरी लिखने जा रहा हूं जो कि सच्ची है। बात उन दिनो की है जब मैं ने १२ वीं के एक्साम दिया था मेरे भाई भाबी मुम्बई मैं रहते हैं मैं रिजल्ट निकलने तक मुम्बई चला गया मैं दिल्ली से कभी बाहर नहीं गया था ये मेरा पहला चांस था पर मुझे कभी उम्मीद नहीं थी कि पहला चांस और हमेशा के लिये यादगार रहेगा। मैं मुम्बई स्टेशन पर पहुंचा मेरे भाई मुझे लेने के लिया वहां पर आया था। मैं उनके साथ घर चला गया। जब घर पहुंचा तो भाभी से मिला और फिर मैं ने फ़्रेश होकर खाना खाया, मेरी भाभी और भाई बहुत अच्छे हैं। मेरी स्टोरी के में एक आदमी के बारे में मैं ने तुम्हे बताया ही नहीं ये पड़ोस में रहने वाली सेक्सी भाभी उनके पति मेरे भाई के साथ ही काम करते हैं मेरी उनसे भी जान पहचान हो गयी और मैं उनके घर भी जाने लगा और पड़ोस वाली भाभी को भी अपनी भाभी की तरह इज़्ज़त देता था और ७ -८ दिनो मैं उससे मिल गया जैसे वहीं पर सालों से रहा हूं और उन्हे जानता हूं।
मेरा भाई और पड़ोस के भाई एक ही पोस्ट पर काम करते हैं सो उनको काम से मुम्बई से १५ दिनो के लिया बाहर जाना था और वो चले गये मेरी भाभी को भी एक सहेली की शादी में पुणे जाना था वो उनके बेस्ट दोस्तो में से एक थी, उनको १ वीक के लिये जाना था, सो वह अपने कपड़े सम्भाल रही थी और मुझसे कहा कि तुम भी मेरे साथ पुणे चलो पर मुझे न जाने क्यों पुणे जाने का मन नहीं था, मैं ने भाभी से कहा कि मुझे वहां कोई नहीं जानता आप जाओ। उन्होने कहा नहीं चलो और मुझे पर प्रेसर देने लगी फिर मैं ने बहुत रेकुएस्ट की फिर वो मान गयी।
फिर उन्होने मुझसे सुजाता भाभी(पड़ोस की भाभी) को बुलाने के लिये कहा मैं ने भाभी को बुलाया और भाभी ने भाभी से कहा कि मैं शादी में जा रही हूं तुम विवेक के लिये खाना बना देना। सुजाता भाभी के कहा कोई बात नहीं अगर आप नहीं कहती तो भी मैं विवेक के लिये खाना बना देती। और फिर भाभी अगले दिन चली गयी। मैं घर में अकेला था सुजाता भाभी ने मुझे नाश्ता करने के लिये कहा और मैं उनके घर चला गया नाश्ता करने के बाद मैं अपने फ़्लैट में जाने के लिये हुआ तभी सुजाता भाभी ने मुझे कहा विवेक वहां अकेले क्या करोगे यहीन पर रहो और मैं भी सोच रहा था कि वहां क्या करुंगा और फिर हम दोनो बात करने लगे, बातों बातों में उन्होने मुझसे कहा कि तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेंड है मैं ने कहा कि भाभी अभी तो मैं बच्चा हूं, मेरी कोई गर्लफ़्रेंड कैसे हो सकती है? वो हंसने लगी।
पता नहीं क्यों अब मुझे उनमें इंटेरेस्ट होने लगा था मैं ने उनके ब्रेस्ट की तरफ़ देखा। उनके बूब्स काफ़ी बड़े हैं उनका फ़ीगर साइज़ ३८ -२९ -३८ है। वो हमेशा घर में रहती है तो विसिब्ल कपड़े पहनती है उनकी ब्रा साफ़ नज़र आती है। जब वो हंस रही थी मैं ने भी पूछा भाभी तुम्हारा कोई ब्वोयफ़्रेंड है या शादी से पहले कोई था तो वो चुप हो गयी और कहने लगी नहीं विवेक। हमने बाते की और दोपहर और रात का खाना खाया। रात को में अपने फ़्लैट में सोने के लिये जा रहा था तो भाभी ने एक बार फिर मुझसे कहा यहीं सो जाओ में अकेली हूं। मुझे डर लगता है। उन्होने मुझे सोने के लिये रूम दिखाया और कहा अगर रात कोई प्यास लगे तो मेरे रूम में आ जाना क्योंकि वहीं पर फ़्रिज है मैने कहा ओके। फिर मैं सो गया।
यारों, मुझे रात कभी प्यास नहीं लगती पर न जाने क्यों उस रात मुझे प्यास लगी और में भाभी के रूम में चला गया रूम में अंधेरा था मैं ने मोबाइल की लाइट ओन की और मुझे फ़्रिज़ मिल गया मैं ने फ़्रिज़ से बोतल निकाली पानी पिया और फिर बोतल रखी जैसे ही फ़्रिज़ बंद कर रहा था कि मुझे बेड पर भाभी सो रही थी, फ़्रिज़ की लाइट से वो दिख रही थी, अचानक मेरी नज़र उनके बदन पर गयी मैं ने देखा कि वो नाइटी पहन कर सो रही है। नाइटी से उनके नंगे पैर दिख रहे थे ओह माय गोड उनकी पैर कितने चिकने थे फिर मेरि नज़र ऊपर गये तो देखा को उनकी ब्रेस्ट से नाइटी खुली है और उनकी ब्रा दिख रही है। मुझसे रहा नहीं गया और मैं फ़्रिज बंद करके अपने रूम में चला गया। उनको देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं उनको चोदने की सोच कर अपने कमरे से निकला पर उनके रूम पर जाते ही मुझे अच्छा नहीं लगा क्योंकि मैं उन्हे भी भाभी की तरह मानता था और मेरे कदम रुक गये ।
रात भर सपने मैं वो ही नज़र आयी। रात को देर से सोया इसलिये सुबह नींद नहीं खुली १० बज रहे थे भाभी मेरे रूम में आ कर मुझे उठने को कहा। उन्होने कहा कि तबियत तो ठीक है, मैं ने कहा हां सही है। देर से क्यों उठे मैं ने कहा पता नही भाभी आज नींद कुछ ज्यादा ही आ गयी उन्होने कहा ओके और कहा कि अपने फ़्लैट में फ़्रेश होकर आ जाओ फिर हम नाश्ता करेंगे। मैं ने कहा सही है फिर मैं चला गया फिर मैं भाभी के फ़्लैट मैं आया। फिर वहीं रात हो गयी भाभी ने वही कहा कि प्यास लगे तो मेरे कमरे में आ जाना और चले गयी। मुझे रात को नींद नहीं रही थी और पानी लेने के लिये फिर उनके कमरे में चला गया फिर वही सीन, यार, मुझे भाभी को चोदने को मन कर करने लगा पर हिम्मत नहीं कर पाया।
अगले दिन वहीं रात में फिर मैं पानी के लिये गया इस बार सीन कुछ और था भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी और उनका एक बूब्स साफ़ दिख रहा था मेरे लंड में तनाव आ गया पहली बार मेरे लंड इतना तनाव आया था मैं अपने कमरे में आ गया और मुझसे से रहा नहीं गया और मैं ने पहली बार ज़िंदगी में मुठ मारा। अगले दिन फिर वही रात फिर भाभी ने कहा प्यास लगे तो मेरे रूम मे आ जाना और स्माइल दे गयी। मुझे इस बार स्माइल सीधा दिल पर चुभ गई। आधे घंटे के बाद मैं उनके रूम में गया मैं ने देखे आज नज़ारा कुछ और है भाभी पैंटी और ब्रा में हैं बस अब मुझसे नहीं रहा गया मैं ने नाइट लाइट ओन की अब उनकी बोडी पूरी तरह लाल लाइट में लाल लग रही थी मुझसे से रहा नहीं गया मैं ने भाभी के पैर को छुआ फिर बूब्स और बूब्स को धीरे धीरे दबाने लगा फिर पैंटी में हाथ डाला और चूत पर हाथ फेरा, मैं बहुत गरम हो गया था पर अब भी भाभी को चोदने की हिम्मत नहीं कर पर रहा था। और मुझे लगा कि अब बहुत हो गया, ज्यादा डर भी रहा था कि भाभी को पता चल जायेगा। फिर मैं बेड से अपने रूम की तरफ़ के लिये उठा तो अचानक मैं ने देखा कि भाभी ने मेरे हाथ पकड़ लिया और बहुत ही धीरे आवाज़ में कहने लगी कि मुझे गरम करके कहां जा रहे हो मुझे ठंडा तो करो।
अब तो मुझसे रुका नहीं जा रहा था सीधे ही भाभी के होंठों को चूसने लगा एक हाथ बूब्स पर और एक हाथ चूत पर भाभी भी मेरे होंठों को चूसने लगी और उन्होने मेरी पैंट के अंदर हाथ अदाल कर मेरा लंड पकड़ लिया जो कि पूरी तरह से चूत में जाने के लिये बेचैन था। मैं ने भाभी की ब्रा और पैंटी और अपने कपड़े भी उतार दिया मैं और भाभी पूरी तरह से नंगे थे। अब मैं उनके बूब्स को चूसने लगा फिर उनकी चूत को चाटने लगा और वो तड़प उठी। फिर उन्होने मेरे लंड को मुंह में ले लिया। चूसने लगी फिर उन्होने मुझसे लंड चूत में डालने का इशारा किया मैं ने उनकी चूत में लंड डाल दिया फिर क्या मेरा लंड ६” का है
मैं ने धक्कहा मार मार कर पूरा लंड चूत में डाल दिया भाभी आवाज़ निकाल रही थी अह्ह उह मर गयी अहह ए ए जोर से, फिर मैं ने भाभी से कहा की भाभी निकलने वाला है क्या करुं उन्होने कहा मेरे मुंह में दे दो मैं ने उनके मुंह में दे दिया और उन्होने पुरा माल निगल लिया हमने भाभी के आने तक रोज़ सेक्स का मजा लिया। फिर भाभी आ गयी और हमरा चूत मारने का सिलसला खत्म हो गया। और फिर भाई और उसके पति भी आ गये लेकिन अब हम नोर्मल हो चुके थे ताकि किसी को कोई शक न हो। और फिर मैं दिल्ली आ गया लेकिन पहले मैं सुजाता भाभी से मिला और उनको अपना कोन्टक्ट नम्बर दिया। दोस्तो वो मुझे अपना दोस्त मानती हैं और हम दोनो कोन्टक्ट में रहते हैं।

शिकारा किश्ती में मादक चूत चुदाई


मैं आशिक राहुल एक बार फिर आपके समक्ष अपनी एक वास्तविक कहानी लेकर प्रस्तुत हूँ।
दोस्तो, यह कहानी भी मेरी और मेरी पूर्व माशूका नेहा की है।
दोस्तो, एक बार चुदाई कर लेने के बाद चुदाई करने को दिल करता ही रहता है।
कॉलेज कैंटीन में चूमाचाटी करना हमारी रोज की आदत हो गई थी।
अब हमें इंतज़ार होता था तो बस एक सही जगह का।
किन्तु कई दिन बीत जाने के बाद भी जगह का इंतजाम नहीं हो रहा था।
इसी बीच हमारे पेपर शुरू हो गये।
इसमें अच्छा यह हुआ दोस्तो कि हमारे एग्जाम का सेंटर घर से बहुत दूर आया।
पेपर शाम की शिफ्ट में था किन्तु हम घर से जल्दी निकल जाते थे सुबह में।
दिसम्बर का महीना था, उस दिन हल्की हल्की धूप निकल रही थी।
सुबह नौ बजे हम बस में सवार हो गये।
रास्ते में नेहा जानबूझ कर अपने पैर मेरे पैरों से हल्के हल्के सहला रही थी।
उसके शरीर का स्पर्श पाकर मेरा 7″ का लंड पैंट में तम्बू बना रहा था।
दिल तो कर रहा था कि बस अभी उसे पकड़कर चुदाई कर लूँ।
किन्तु हालत के अनुसार अपने अरमानों पर काबू रखना पड़ा।
10:30 बजे हम वहाँ पहुँच गये।
अब बस एक जगह का इंतजाम करना था जहाँ हम दोनों चुदाई कर सकें।
हमने कुछ होटल का पता किया तो कम से कम 3000 रूपये मांग रहे थे।
चूँकि हमारे पास मुश्किल से 2 घंटे का वक़्त था क्यूंकि हमें पेपर भी देना था तो हमने इतने पैसे खर्च न करना बेहतर समझा।
फिर एक हमने वहाँ की प्रसिद्ध झील देखने जाने का फैसला लिया।
दोस्तों वहाँ जाकर देखा तो वहाँ ठण्ड की वजह से बहुत कम लोग ही आये हुए थे।
तभी सामने स्टैंड पर कुछ शिकारा नाव दिखाई दी।
दोस्तो, ये नाव काफी बड़ी होती है और इसमें चारों तरफ परदे लगे होते हैं ताकि कोई बाहर से देख न सके।
तभी हमें अपने अरमानों को साकार होने का आईडिया आया।
मैंने उस नाव वाले से पता किया तो उसने बताया कि एक घंटे नाव में घुमाने के 700 रूपये लेगा, जिसमें बीच में एक टापू पर वो नाव खडी कर देगा और आधे घंटे तक वो हमे डिस्टर्ब नहीं करेगा।
हमने तुरंत वो नाव ले ली और उसमें बैठ गये।
अन्दर बैठते ही पहले नाव को अच्छी तरह चेक किया, सारे परदे चेक किये।
और इतना इंतज़ार किया था तो अब एक पल भी रुक पाना मुश्किल था हमारे लिए।
मैंने उसे कस के अपनी बाहों में भर लिया।
पहले उसके नीचे वाले होंठ को प्यार से अपने होंठों से चूसना शुरू किया, फिर ऊपर वाले होंठ को चूसा।
धीरे धीरे उसकी जीभ को चूसा।
वो भी पूरे रंग में आकर मेरे होंठों को चूस रही थी।
करीब 15 मिनट तक हम एक दूजे को चूमते रहे।
इतने में वो टापू आ गया।
मैंने नाव वाले को 50 का एक नोट और दिया और वो समझ गया कि अब उसे नहीं आना जब तक बुलाया न जाए।
उसके जाने के बाद मैंने फटाफट नेहा का कपड़े उतारने शुरू किये।
एक मिनट में वो मेरे सामने बिल्कुल नग्न थी।
फिर उसने मुझे नंगा किया।
मैंने अपना हाथ नाव से बाहर निकालकर झील का ठंडा पानी हाथ में लिया और नेहा के बदन पर छिड़क दिया।
ठंडे पानी से उसके जिस्म में एक सिहरन सी उठी और फिर मैंने तुरंत उसे खुद से पूरी तरह चिपका लिया।
एक बार फिर से हमने चूमाचाटी करना शुरु किया।
कब उसके गले को चूमते हुए उसके गोरे-गोरे दूध कलशों को चूसना शुरू किया।
वो एक हाथ से मेरा लंड सहला रही थी।
मैं उसके जिस्म को चूसते चूसते उसकी चूत तक आ पहुँचा।
पर आज उसकी चूत का नजारा अलग था दोस्तो…
आज उसने अपनी चूत को बिल्कुल साफ़ किया हुआ था।
ऐसी प्यारी चिकनी गुलाबी चूत देखकर तो मैं बस पागल सा ही हो गया था।
मैंने तुरंत उसकी चूत को पहले चूमा, फिर अपनी जीभ से उसकी चूत को रगड़ना शुरू किया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
नेहा के मुख से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी।
‘ऊऊम्म्म आआह्ह ह्ह्ह ऊउम्म… आस्श्हश्ह्श्श… उम्म्म्म…’
उसने मेरा सर पकड़कर अपनी चूत पर दबाना शुरू कर दिया।
5 मिनट में ही उसकी चूत का पानी निकल गया।
अब मैंने अपना लंड उसके सामने किया तो वो बड़े मादक तरीके से मेरे लंड को चूसने लगी।
दोस्तो, लंड चुसवाकर जो आनन्द की अनुभूति होती है वो बयाँ कर पाना नामुमकिन है।
क्यूंकि वक़्त का तकाजा था तो हमने जल्दी ही चुदाई करने की सोची।
आज नेहा ने मुझे नीचे लेटने को कहा और वो खुद पहले ही ऊपर आ गई।
उसने एक हाथ से मेरा लंड अपनी चूत के छेद पर सेट किया और धीरे धीरे पूरा लंड चूत में लेने लगी।
मैंने पहले उसकी गोरी चिकनी गांड को दबाया और सहलाया।
फिर उसकी गांड को पकड़कर उसे जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगा।
5 मिनट में ही नेहा थकने लगी तो मैंने उसकी चूचियों को चूसना शुरू किया।
अब मैंने नेहा को नीचे लिटा दिया।
पहले उसकी चूत को एक बार निहारा।
क्या बताऊँ दोस्तों कितनी प्यारी लग रही थी उसकी गुलाबी चूत…
फिर उसकी चूत को पहले चूमा और उसकी दोनों टांगों को ऊपर कर दिया।
अब उस पर झुक कर अपना लंड उसकी गुलाबी चूत के मुहाने पर सेट किया।
नेहा भी चुदने को पूरी तरह बेताब थी।
तो देर न करते हुए मैंने एक तेज झटका मारा और पूरा लंड एक बार में ही उसकी चूत में घुसा दिया।
उसके मुख से एक चीख निकली, मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और जोर जोर से झटके मारने लगा।
दस मिनट तक की चुदाई के बाद मेरा झड़ने को हुआ तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और नेहा को चूसने को दिया।
दो मिनट की चुसाई के बाद लंड ने अपना सारा माल उसके मुख में निकाल दिया।
नेहा ने एकदम सारा माल बाहर थूक दिया और उसे कुछ उक्लाहट सी हुई।
तब मैंने उसे प्यार से समझाया कि बाबू ये तो प्यार का असली स्वाद है इसे भी प्यार करना चाहिए।
तो फिर उसने दो मिनट और लंड चूसा।
फिर मैंने कपड़े पहन कर नाव वाले को बाहर देखा तो उसने बोला कि एक घंटा होने वाला है अब वापस चलना होगा।
इसलिए हम वापस आने लगे।
अन्दर आकर नेहा और मैं एक बार फिर एक दूजे को किस करने लगे।
दस मिनट तक हमने खूब किस की और इतने में हम स्टैंड पर पहुँच गये।
उसके बाद हमने पेपर दिया और शाम को घर वापस लौट आये।
तो दोस्तो, यह थी मेरी और नेहा की वास्तविक चुदाई के पलों की दास्ताँ।
आशा करता हूँ आपको पसंद आई होगी।

बिहारी ने पंजाबन कमसिन की सील तोड़ी


दोस्तो, आज जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ, यह मुझे एक महिला मित्र ने मेल करके अनुरोध किया था लिखकर पोस्ट करने को।
अब आगे कहानी सिमरनजीत कौर के शब्दों में:
दोस्तो, मेरा नाम सिमरनजीत कौर है, सभी प्यार से मुझे सिमी बुलाते हैं।
मैं पंजाब के मोगा जिले के एक छोटे गाँव से हूँ।
मेरी उम्र 19 साल है। मैंने +2 की है और अब घर के काम ही करती हूँ।
मेरे जिस्म का आकार है 32-28-34
दोस्तो, हमारे परिवार में पापा, मम्मी, दो भाई और दो बहन और मैं हूँ।
पापा और भाई खेती करते हैं, एक बहन बड़ी 21 साल और एक छोटी है 17 साल।
दोनों भाई बड़े हैं और पापा के साथ ही काम करते हैं।
तो दोस्तो, जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि पंजाब में ज्यादातर बिहारियों को काम पर रखते हैं सभी।
ये लोग सस्ते में काम करते हैं।
तो हमारे यहाँ भी पापा ने दो बिहारी नौकरों को रखा हुआ है, दिनेश की उम्र 18, तो दूसरा रमेश 23 साल का है।
वो हमारे घर में पिछले कई सालों से काम कर रहे हैं।
जब मैं और मेरी बहने स्कूल जाती थी तो वो दोनों में से कोई एक हमें रोज स्कूल छोड़ने जाता था।
दिनेश का काम था रोज भैंसों का दोनों वक़्त दूध दुहना।
जब दिनेश दूध निकलता तो मेरी मम्मी मुझे उसके पास भेज देती थी  कि मैं देखूँ कि कहीं वो दूध में कुछ गड़बड़ तो नहीं करता।
इसलिए मैं वहाँ उसके पास खड़ी होकर देखा करती थी।
उस वक़्त दिनेश जानबूझकर सिर्फ नीचे एक लुंगी पहनकर रखता था और ऊपर कुछ नहीं पहनता था।
जब वो दूध निकालता था तो वो बीच बीच में मेरी तरफ देख के मुस्कराता था और फिर जब वो देखता मैं उसे देख रही हूँ तो बड़े प्यार से भैंस के थन को सहलाने लगता और फिर मेरे 32 साइज़ के मस्त स्तनों को घूरने लगता।
मुझे भी उसका इस तरह से घूरना अच्छा सा लगने लगा था।
मैं भी उसे देखकर धीरे से मुस्करा देती थी।
मेरे जिस्म में भी अजीब सी सरसराहट होने लगती थी।
सेक्स के प्यारे प्यारे ख्वाब पूरे बदन को रोमांचित कर देते थे।
कई दिन ऐसे ही चलता रहा।
अब मैंने नोट किया कि दिनेश मेरे आस पास रहने की कोशिश करता था।
एक दिन वो हमें स्कूल से लाने के लिए आया।
उसने साइकिल पर आगे मुझे बैठाया और पीछे बड़ी दी को।
क्योंकि छोटी बहन उस दिन नही आई थी।
रास्ते में मैंने देखा कि दिनेश जानबूझकर पैडल मारते वक़्त अपनी टांगों से मेरे चूतड़ों को रगड़ रहा था।
वो हौले हौले से अपने पैर से मेरे कूल्हों को सहला रहा था तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मेरी कुंवारी चूत में खुजली सी होने लगी थी जैसे हजारों चीटियाँ रेंग रही हों।
बीच बीच में वो खड़े होकर साइकिल चलाने की कोशिश करता था। जिससे उसका तना हुआ लंड मेरी गाण्ड से छू रहा था।
पहली बार मुझे मेरी गाण्ड पर उसके लंड के एहसास ने बहुत ज्यादा उत्तेजित कर दिया था।
मैंने बीच में उसे मुड़कर देखा और उसे स्माइल की तो वो समझ गया कि मुझे भी अच्छा लग रहा है उसका यूँ छूना।
फिर शाम को जब वो दूध निकालने लगा तो मैंने उसे मुझको भी सिखाने को कहा।
तो वो तुरन्त मान गया और उसने मुझे अपने आगे बैठा लिया।
फिर मैंने भैंस के थनों को पकड़ा तो उसने मेरे हाथ को थामकर अपने हाथ में ले लिया और मेरे हाथों को भींचकर भैंस के थनों को दबाकर दूध निकालना सिखाने लगा।
उसका लंड फिर से खड़ा हो चुका था और सिर्फ लुंगी में था तो उसका लुंगी में उठा हुआ लंड मेरी कोमल नरम गाण्ड से टकराने लगा।
मुझे अपनी गांड में उसके लंड का यूँ रगड़ना अच्छा लग रहा था तो मैंने कोई विरोध नहीं किया बल्कि उसे स्माइल देने लगी।
जिससे उसकी हिम्मत बढ़ रही थी।
फिर ऐसे ही तीन चार दिन चलता रहा।
अब हम जब अकेले में मौका मिलता तो थोड़ी बातें करने लगे थे।
फिर एक दिन जबी वो दूध निकलना सिखा रहा था तो धीरे से उसने पीछे से एक हाथ से मेरा स्तन पकड़ लिया।
मुझे उसकी इस पहल का कब से इंतजार था।
तो मैंने भी उसे मना नहीं किया।
धीरे धीरे उसने कमीज के ऊपर से ही मेरे दोनों स्तनों को खूब मसला।
पीछे से उसका खड़ा लंड मेरे चूतड़ों में फंसा हुआ था।
लेकिन इतने में मम्मी की आवाज आई और हमें जाना पढ़ा।
लेकिन अब वो समझ गया था कि मैं भी पूरी तरह से तैयार हूँ।
और वो मेरे साथ सब कुछ कर सकता है।
4-5 दिनों बाद पापा कहीं बाहर गये थे दोनों भाइयों और रमेश के साथ खेत का समान लेने।
दोनों बहनें स्कूल गई थी लेकिन मैंने छुट्टी ले रखी थी।
जब मम्मी दिन में अपनी सहेली के गई स्वेटर बुनने के लिए तो मुझे पता था वो घंटे से पहले नहीं आएँगी।
दिनेश को पापा ने घर छोड़ा हुआ था भैंसों की रखवाली और कुछ और कामों के लिए।
उस दिन मैंने लोअर और टी शर्ट पहन रखी थी जिसमें मेरे 32 साइज़ के गोर कसे स्तन बाहर झाँक रहे थे।
मैं कमरे में अकेली थी।
मैंने दिनेश को बुलाया और कहा कि मुझे किसी कीड़े ने काट लिया है शायद कंधे पर… तो वो देखे।
वो समझ गया था कि आज इस मौके का फायदा उठाना है।
उसने पहले पीछे जाकर एक हाथ से मेरे कंधे की हल्की सी मालिश की, फिर पूछा- आराम लग रहा है?
तो मैंने कहा- हाँ… अच्छा लग रहा है।
तो वो मेरे कंधे पर चुम्बन करने लगा।
मेरे मुहँ से सिसकारियाँ निकलने लगी।
फिर वो दोनों हाथ पीछे से लाकर मेरे दोनों बूब्स दबाने लगा।
मैं भी पूरी तरह गर्म हो गई थी।
फिर उसने मेरी टीशर्ट निकाल दी और ब्रा भी उतार दी।
अब वो आगे की साइड आकर मेरे दोनों स्तनों को चूसने लगा।
फिर उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी लोअर भी उतार दी।
मैंने पैंटी नहीं पहनी थी तो मैं पूरी तरह उसके सामने नंगी थी।
उसने फटाफट अपनी बनियान और लुंगी उतार दी।
उसका 6 इंच का काला फनफनाता लंड मेरे सामने था।
उसने मुझे चूसने को बोला तो पहले तो मैंने मना किया किन्तु फिर न जाने क्या सोचकर एक बार मुँह में लिया और दो तीन मिनट चूसा।
फिर वो फटाफट मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमते हुए अपना लंड मेरी चूत पर सेट करके धक्का मारा।
उसका लंड का काफी हिस्सा मेरी चूत में समा गया और मेरी जान सी निकल गई।
मेरे मना करने पर भी वो हटा नही, बोला- बीबी जी, बस एक बार दर्द होगा, थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो बस।
दो मिनट बाद वो फिर से धक्के मारने लगा।
फिर धीरे धीरे मुझे भी अच्छा सा लगना शुरू हो गया।
अब मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी।
दस मिनट की चुदाई के बाद वो मेरे अन्दर ही झड़ गया।
जब वो हटा तो देखा मेरी चूत से थोड़ा खून भी निकला हुआ था।
एक बिहारी मने एक कमसिन पंजाबन की सील तोड़ दी थी।
फिर हमने अपने कपड़े पहने और बिस्तर साफ़ किया।
आगे की कहानियों में मैं आपको बताऊँगी कि कैसे रमेश और दिनेश ने मिलकर हम तीनों बहनों को चोदा।
और ऐसी ही कहानी पंजाब के ज्यातर घरों में आज के वक़्त हो रही है।
आज बिहारी पंजाबियों के घरों की लड़कियों बहुओं के साथ कैसे कैसे सेक्स कर रहे हैं।
अंत में मैं आशिक राहुल जी का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहूँगी जिन्होंने मेरी कहानी को शब्द दिए और उसे पूरी गोपनीयता के साथ प्रकाशित करने में मेरी इतनी मदद की।
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको सिमी की यह सच्ची कहानी?

जिजा के साथ जमकर चुदाई

This summary is not available. Please click here to view the post.