मैं आशिक राहुल एक बार फिर आपके समक्ष अपनी एक वास्तविक कहानी लेकर प्रस्तुत हूँ।
दोस्तो, यह कहानी भी मेरी और मेरी पूर्व माशूका नेहा की है।
दोस्तो, यह कहानी भी मेरी और मेरी पूर्व माशूका नेहा की है।
दोस्तो, एक बार चुदाई कर लेने के बाद चुदाई करने को दिल करता ही रहता है।
कॉलेज कैंटीन में चूमाचाटी करना हमारी रोज की आदत हो गई थी।
अब हमें इंतज़ार होता था तो बस एक सही जगह का।
किन्तु कई दिन बीत जाने के बाद भी जगह का इंतजाम नहीं हो रहा था।
इसी बीच हमारे पेपर शुरू हो गये।
इसमें अच्छा यह हुआ दोस्तो कि हमारे एग्जाम का सेंटर घर से बहुत दूर आया।
पेपर शाम की शिफ्ट में था किन्तु हम घर से जल्दी निकल जाते थे सुबह में।
दिसम्बर का महीना था, उस दिन हल्की हल्की धूप निकल रही थी।
सुबह नौ बजे हम बस में सवार हो गये।
रास्ते में नेहा जानबूझ कर अपने पैर मेरे पैरों से हल्के हल्के सहला रही थी।
उसके शरीर का स्पर्श पाकर मेरा 7″ का लंड पैंट में तम्बू बना रहा था।
उसके शरीर का स्पर्श पाकर मेरा 7″ का लंड पैंट में तम्बू बना रहा था।
दिल तो कर रहा था कि बस अभी उसे पकड़कर चुदाई कर लूँ।
किन्तु हालत के अनुसार अपने अरमानों पर काबू रखना पड़ा।
10:30 बजे हम वहाँ पहुँच गये।
अब बस एक जगह का इंतजाम करना था जहाँ हम दोनों चुदाई कर सकें।
हमने कुछ होटल का पता किया तो कम से कम 3000 रूपये मांग रहे थे।
चूँकि हमारे पास मुश्किल से 2 घंटे का वक़्त था क्यूंकि हमें पेपर भी देना था तो हमने इतने पैसे खर्च न करना बेहतर समझा।
फिर एक हमने वहाँ की प्रसिद्ध झील देखने जाने का फैसला लिया।
दोस्तों वहाँ जाकर देखा तो वहाँ ठण्ड की वजह से बहुत कम लोग ही आये हुए थे।
तभी सामने स्टैंड पर कुछ शिकारा नाव दिखाई दी।
दोस्तो, ये नाव काफी बड़ी होती है और इसमें चारों तरफ परदे लगे होते हैं ताकि कोई बाहर से देख न सके।
दोस्तो, ये नाव काफी बड़ी होती है और इसमें चारों तरफ परदे लगे होते हैं ताकि कोई बाहर से देख न सके।
तभी हमें अपने अरमानों को साकार होने का आईडिया आया।
मैंने उस नाव वाले से पता किया तो उसने बताया कि एक घंटे नाव में घुमाने के 700 रूपये लेगा, जिसमें बीच में एक टापू पर वो नाव खडी कर देगा और आधे घंटे तक वो हमे डिस्टर्ब नहीं करेगा।
हमने तुरंत वो नाव ले ली और उसमें बैठ गये।
अन्दर बैठते ही पहले नाव को अच्छी तरह चेक किया, सारे परदे चेक किये।
और इतना इंतज़ार किया था तो अब एक पल भी रुक पाना मुश्किल था हमारे लिए।
मैंने उसे कस के अपनी बाहों में भर लिया।
पहले उसके नीचे वाले होंठ को प्यार से अपने होंठों से चूसना शुरू किया, फिर ऊपर वाले होंठ को चूसा।
धीरे धीरे उसकी जीभ को चूसा।
वो भी पूरे रंग में आकर मेरे होंठों को चूस रही थी।
धीरे धीरे उसकी जीभ को चूसा।
वो भी पूरे रंग में आकर मेरे होंठों को चूस रही थी।
करीब 15 मिनट तक हम एक दूजे को चूमते रहे।
इतने में वो टापू आ गया।
मैंने नाव वाले को 50 का एक नोट और दिया और वो समझ गया कि अब उसे नहीं आना जब तक बुलाया न जाए।
मैंने नाव वाले को 50 का एक नोट और दिया और वो समझ गया कि अब उसे नहीं आना जब तक बुलाया न जाए।
उसके जाने के बाद मैंने फटाफट नेहा का कपड़े उतारने शुरू किये।
एक मिनट में वो मेरे सामने बिल्कुल नग्न थी।
फिर उसने मुझे नंगा किया।
मैंने अपना हाथ नाव से बाहर निकालकर झील का ठंडा पानी हाथ में लिया और नेहा के बदन पर छिड़क दिया।
ठंडे पानी से उसके जिस्म में एक सिहरन सी उठी और फिर मैंने तुरंत उसे खुद से पूरी तरह चिपका लिया।
एक बार फिर से हमने चूमाचाटी करना शुरु किया।
कब उसके गले को चूमते हुए उसके गोरे-गोरे दूध कलशों को चूसना शुरू किया।
वो एक हाथ से मेरा लंड सहला रही थी।
मैं उसके जिस्म को चूसते चूसते उसकी चूत तक आ पहुँचा।
पर आज उसकी चूत का नजारा अलग था दोस्तो…
आज उसने अपनी चूत को बिल्कुल साफ़ किया हुआ था।
ऐसी प्यारी चिकनी गुलाबी चूत देखकर तो मैं बस पागल सा ही हो गया था।
मैंने तुरंत उसकी चूत को पहले चूमा, फिर अपनी जीभ से उसकी चूत को रगड़ना शुरू किया।
आज उसने अपनी चूत को बिल्कुल साफ़ किया हुआ था।
ऐसी प्यारी चिकनी गुलाबी चूत देखकर तो मैं बस पागल सा ही हो गया था।
मैंने तुरंत उसकी चूत को पहले चूमा, फिर अपनी जीभ से उसकी चूत को रगड़ना शुरू किया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
नेहा के मुख से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी।
‘ऊऊम्म्म आआह्ह ह्ह्ह ऊउम्म… आस्श्हश्ह्श्श… उम्म्म्म…’
उसने मेरा सर पकड़कर अपनी चूत पर दबाना शुरू कर दिया।
5 मिनट में ही उसकी चूत का पानी निकल गया।
अब मैंने अपना लंड उसके सामने किया तो वो बड़े मादक तरीके से मेरे लंड को चूसने लगी।
दोस्तो, लंड चुसवाकर जो आनन्द की अनुभूति होती है वो बयाँ कर पाना नामुमकिन है।
दोस्तो, लंड चुसवाकर जो आनन्द की अनुभूति होती है वो बयाँ कर पाना नामुमकिन है।
क्यूंकि वक़्त का तकाजा था तो हमने जल्दी ही चुदाई करने की सोची।
आज नेहा ने मुझे नीचे लेटने को कहा और वो खुद पहले ही ऊपर आ गई।
उसने एक हाथ से मेरा लंड अपनी चूत के छेद पर सेट किया और धीरे धीरे पूरा लंड चूत में लेने लगी।
उसने एक हाथ से मेरा लंड अपनी चूत के छेद पर सेट किया और धीरे धीरे पूरा लंड चूत में लेने लगी।
मैंने पहले उसकी गोरी चिकनी गांड को दबाया और सहलाया।
फिर उसकी गांड को पकड़कर उसे जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगा।
फिर उसकी गांड को पकड़कर उसे जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगा।
5 मिनट में ही नेहा थकने लगी तो मैंने उसकी चूचियों को चूसना शुरू किया।
अब मैंने नेहा को नीचे लिटा दिया।
पहले उसकी चूत को एक बार निहारा।
क्या बताऊँ दोस्तों कितनी प्यारी लग रही थी उसकी गुलाबी चूत…
फिर उसकी चूत को पहले चूमा और उसकी दोनों टांगों को ऊपर कर दिया।
अब उस पर झुक कर अपना लंड उसकी गुलाबी चूत के मुहाने पर सेट किया।
नेहा भी चुदने को पूरी तरह बेताब थी।
तो देर न करते हुए मैंने एक तेज झटका मारा और पूरा लंड एक बार में ही उसकी चूत में घुसा दिया।
तो देर न करते हुए मैंने एक तेज झटका मारा और पूरा लंड एक बार में ही उसकी चूत में घुसा दिया।
उसके मुख से एक चीख निकली, मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और जोर जोर से झटके मारने लगा।
दस मिनट तक की चुदाई के बाद मेरा झड़ने को हुआ तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और नेहा को चूसने को दिया।
दो मिनट की चुसाई के बाद लंड ने अपना सारा माल उसके मुख में निकाल दिया।
नेहा ने एकदम सारा माल बाहर थूक दिया और उसे कुछ उक्लाहट सी हुई।
तब मैंने उसे प्यार से समझाया कि बाबू ये तो प्यार का असली स्वाद है इसे भी प्यार करना चाहिए।
तो फिर उसने दो मिनट और लंड चूसा।
फिर मैंने कपड़े पहन कर नाव वाले को बाहर देखा तो उसने बोला कि एक घंटा होने वाला है अब वापस चलना होगा।
इसलिए हम वापस आने लगे।
इसलिए हम वापस आने लगे।
अन्दर आकर नेहा और मैं एक बार फिर एक दूजे को किस करने लगे।
दस मिनट तक हमने खूब किस की और इतने में हम स्टैंड पर पहुँच गये।
उसके बाद हमने पेपर दिया और शाम को घर वापस लौट आये।
तो दोस्तो, यह थी मेरी और नेहा की वास्तविक चुदाई के पलों की दास्ताँ।
आशा करता हूँ आपको पसंद आई होगी।
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