Friday, April 24, 2015

भाभी की चुदाई


लेखक: विवेक वर्मा
हैलो! दोस्तों मेरा नाम विवेक वर्मा है मैं दिल्ली से हूं।  मैं अपनी एक स्टोरी लिखने जा रहा हूं जो कि सच्ची है। बात उन दिनो की है जब मैं ने १२ वीं के एक्साम दिया था मेरे भाई भाबी मुम्बई मैं रहते हैं मैं रिजल्ट निकलने तक मुम्बई चला गया मैं दिल्ली से कभी बाहर नहीं गया था ये मेरा पहला चांस था पर मुझे कभी उम्मीद नहीं थी कि पहला चांस और हमेशा के लिये यादगार रहेगा। मैं मुम्बई स्टेशन पर पहुंचा मेरे भाई मुझे लेने के लिया वहां पर आया था। मैं उनके साथ घर चला गया। जब घर पहुंचा तो भाभी से मिला और फिर मैं ने फ़्रेश होकर खाना खाया, मेरी भाभी और भाई बहुत अच्छे हैं। मेरी स्टोरी के में एक आदमी के बारे में मैं ने तुम्हे बताया ही नहीं ये पड़ोस में रहने वाली सेक्सी भाभी उनके पति मेरे भाई के साथ ही काम करते हैं मेरी उनसे भी जान पहचान हो गयी और मैं उनके घर भी जाने लगा और पड़ोस वाली भाभी को भी अपनी भाभी की तरह इज़्ज़त देता था और ७ -८ दिनो मैं उससे मिल गया जैसे वहीं पर सालों से रहा हूं और उन्हे जानता हूं।
मेरा भाई और पड़ोस के भाई एक ही पोस्ट पर काम करते हैं सो उनको काम से मुम्बई से १५ दिनो के लिया बाहर जाना था और वो चले गये मेरी भाभी को भी एक सहेली की शादी में पुणे जाना था वो उनके बेस्ट दोस्तो में से एक थी, उनको १ वीक के लिये जाना था, सो वह अपने कपड़े सम्भाल रही थी और मुझसे कहा कि तुम भी मेरे साथ पुणे चलो पर मुझे न जाने क्यों पुणे जाने का मन नहीं था, मैं ने भाभी से कहा कि मुझे वहां कोई नहीं जानता आप जाओ। उन्होने कहा नहीं चलो और मुझे पर प्रेसर देने लगी फिर मैं ने बहुत रेकुएस्ट की फिर वो मान गयी।
फिर उन्होने मुझसे सुजाता भाभी(पड़ोस की भाभी) को बुलाने के लिये कहा मैं ने भाभी को बुलाया और भाभी ने भाभी से कहा कि मैं शादी में जा रही हूं तुम विवेक के लिये खाना बना देना। सुजाता भाभी के कहा कोई बात नहीं अगर आप नहीं कहती तो भी मैं विवेक के लिये खाना बना देती। और फिर भाभी अगले दिन चली गयी। मैं घर में अकेला था सुजाता भाभी ने मुझे नाश्ता करने के लिये कहा और मैं उनके घर चला गया नाश्ता करने के बाद मैं अपने फ़्लैट में जाने के लिये हुआ तभी सुजाता भाभी ने मुझे कहा विवेक वहां अकेले क्या करोगे यहीन पर रहो और मैं भी सोच रहा था कि वहां क्या करुंगा और फिर हम दोनो बात करने लगे, बातों बातों में उन्होने मुझसे कहा कि तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेंड है मैं ने कहा कि भाभी अभी तो मैं बच्चा हूं, मेरी कोई गर्लफ़्रेंड कैसे हो सकती है? वो हंसने लगी।
पता नहीं क्यों अब मुझे उनमें इंटेरेस्ट होने लगा था मैं ने उनके ब्रेस्ट की तरफ़ देखा। उनके बूब्स काफ़ी बड़े हैं उनका फ़ीगर साइज़ ३८ -२९ -३८ है। वो हमेशा घर में रहती है तो विसिब्ल कपड़े पहनती है उनकी ब्रा साफ़ नज़र आती है। जब वो हंस रही थी मैं ने भी पूछा भाभी तुम्हारा कोई ब्वोयफ़्रेंड है या शादी से पहले कोई था तो वो चुप हो गयी और कहने लगी नहीं विवेक। हमने बाते की और दोपहर और रात का खाना खाया। रात को में अपने फ़्लैट में सोने के लिये जा रहा था तो भाभी ने एक बार फिर मुझसे कहा यहीं सो जाओ में अकेली हूं। मुझे डर लगता है। उन्होने मुझे सोने के लिये रूम दिखाया और कहा अगर रात कोई प्यास लगे तो मेरे रूम में आ जाना क्योंकि वहीं पर फ़्रिज है मैने कहा ओके। फिर मैं सो गया।
यारों, मुझे रात कभी प्यास नहीं लगती पर न जाने क्यों उस रात मुझे प्यास लगी और में भाभी के रूम में चला गया रूम में अंधेरा था मैं ने मोबाइल की लाइट ओन की और मुझे फ़्रिज़ मिल गया मैं ने फ़्रिज़ से बोतल निकाली पानी पिया और फिर बोतल रखी जैसे ही फ़्रिज़ बंद कर रहा था कि मुझे बेड पर भाभी सो रही थी, फ़्रिज़ की लाइट से वो दिख रही थी, अचानक मेरी नज़र उनके बदन पर गयी मैं ने देखा कि वो नाइटी पहन कर सो रही है। नाइटी से उनके नंगे पैर दिख रहे थे ओह माय गोड उनकी पैर कितने चिकने थे फिर मेरि नज़र ऊपर गये तो देखा को उनकी ब्रेस्ट से नाइटी खुली है और उनकी ब्रा दिख रही है। मुझसे रहा नहीं गया और मैं फ़्रिज बंद करके अपने रूम में चला गया। उनको देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं उनको चोदने की सोच कर अपने कमरे से निकला पर उनके रूम पर जाते ही मुझे अच्छा नहीं लगा क्योंकि मैं उन्हे भी भाभी की तरह मानता था और मेरे कदम रुक गये ।
रात भर सपने मैं वो ही नज़र आयी। रात को देर से सोया इसलिये सुबह नींद नहीं खुली १० बज रहे थे भाभी मेरे रूम में आ कर मुझे उठने को कहा। उन्होने कहा कि तबियत तो ठीक है, मैं ने कहा हां सही है। देर से क्यों उठे मैं ने कहा पता नही भाभी आज नींद कुछ ज्यादा ही आ गयी उन्होने कहा ओके और कहा कि अपने फ़्लैट में फ़्रेश होकर आ जाओ फिर हम नाश्ता करेंगे। मैं ने कहा सही है फिर मैं चला गया फिर मैं भाभी के फ़्लैट मैं आया। फिर वहीं रात हो गयी भाभी ने वही कहा कि प्यास लगे तो मेरे कमरे में आ जाना और चले गयी। मुझे रात को नींद नहीं रही थी और पानी लेने के लिये फिर उनके कमरे में चला गया फिर वही सीन, यार, मुझे भाभी को चोदने को मन कर करने लगा पर हिम्मत नहीं कर पाया।
अगले दिन वहीं रात में फिर मैं पानी के लिये गया इस बार सीन कुछ और था भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी और उनका एक बूब्स साफ़ दिख रहा था मेरे लंड में तनाव आ गया पहली बार मेरे लंड इतना तनाव आया था मैं अपने कमरे में आ गया और मुझसे से रहा नहीं गया और मैं ने पहली बार ज़िंदगी में मुठ मारा। अगले दिन फिर वही रात फिर भाभी ने कहा प्यास लगे तो मेरे रूम मे आ जाना और स्माइल दे गयी। मुझे इस बार स्माइल सीधा दिल पर चुभ गई। आधे घंटे के बाद मैं उनके रूम में गया मैं ने देखे आज नज़ारा कुछ और है भाभी पैंटी और ब्रा में हैं बस अब मुझसे नहीं रहा गया मैं ने नाइट लाइट ओन की अब उनकी बोडी पूरी तरह लाल लाइट में लाल लग रही थी मुझसे से रहा नहीं गया मैं ने भाभी के पैर को छुआ फिर बूब्स और बूब्स को धीरे धीरे दबाने लगा फिर पैंटी में हाथ डाला और चूत पर हाथ फेरा, मैं बहुत गरम हो गया था पर अब भी भाभी को चोदने की हिम्मत नहीं कर पर रहा था। और मुझे लगा कि अब बहुत हो गया, ज्यादा डर भी रहा था कि भाभी को पता चल जायेगा। फिर मैं बेड से अपने रूम की तरफ़ के लिये उठा तो अचानक मैं ने देखा कि भाभी ने मेरे हाथ पकड़ लिया और बहुत ही धीरे आवाज़ में कहने लगी कि मुझे गरम करके कहां जा रहे हो मुझे ठंडा तो करो।
अब तो मुझसे रुका नहीं जा रहा था सीधे ही भाभी के होंठों को चूसने लगा एक हाथ बूब्स पर और एक हाथ चूत पर भाभी भी मेरे होंठों को चूसने लगी और उन्होने मेरी पैंट के अंदर हाथ अदाल कर मेरा लंड पकड़ लिया जो कि पूरी तरह से चूत में जाने के लिये बेचैन था। मैं ने भाभी की ब्रा और पैंटी और अपने कपड़े भी उतार दिया मैं और भाभी पूरी तरह से नंगे थे। अब मैं उनके बूब्स को चूसने लगा फिर उनकी चूत को चाटने लगा और वो तड़प उठी। फिर उन्होने मेरे लंड को मुंह में ले लिया। चूसने लगी फिर उन्होने मुझसे लंड चूत में डालने का इशारा किया मैं ने उनकी चूत में लंड डाल दिया फिर क्या मेरा लंड ६” का है
मैं ने धक्कहा मार मार कर पूरा लंड चूत में डाल दिया भाभी आवाज़ निकाल रही थी अह्ह उह मर गयी अहह ए ए जोर से, फिर मैं ने भाभी से कहा की भाभी निकलने वाला है क्या करुं उन्होने कहा मेरे मुंह में दे दो मैं ने उनके मुंह में दे दिया और उन्होने पुरा माल निगल लिया हमने भाभी के आने तक रोज़ सेक्स का मजा लिया। फिर भाभी आ गयी और हमरा चूत मारने का सिलसला खत्म हो गया। और फिर भाई और उसके पति भी आ गये लेकिन अब हम नोर्मल हो चुके थे ताकि किसी को कोई शक न हो। और फिर मैं दिल्ली आ गया लेकिन पहले मैं सुजाता भाभी से मिला और उनको अपना कोन्टक्ट नम्बर दिया। दोस्तो वो मुझे अपना दोस्त मानती हैं और हम दोनो कोन्टक्ट में रहते हैं।

शिकारा किश्ती में मादक चूत चुदाई


मैं आशिक राहुल एक बार फिर आपके समक्ष अपनी एक वास्तविक कहानी लेकर प्रस्तुत हूँ।
दोस्तो, यह कहानी भी मेरी और मेरी पूर्व माशूका नेहा की है।
दोस्तो, एक बार चुदाई कर लेने के बाद चुदाई करने को दिल करता ही रहता है।
कॉलेज कैंटीन में चूमाचाटी करना हमारी रोज की आदत हो गई थी।
अब हमें इंतज़ार होता था तो बस एक सही जगह का।
किन्तु कई दिन बीत जाने के बाद भी जगह का इंतजाम नहीं हो रहा था।
इसी बीच हमारे पेपर शुरू हो गये।
इसमें अच्छा यह हुआ दोस्तो कि हमारे एग्जाम का सेंटर घर से बहुत दूर आया।
पेपर शाम की शिफ्ट में था किन्तु हम घर से जल्दी निकल जाते थे सुबह में।
दिसम्बर का महीना था, उस दिन हल्की हल्की धूप निकल रही थी।
सुबह नौ बजे हम बस में सवार हो गये।
रास्ते में नेहा जानबूझ कर अपने पैर मेरे पैरों से हल्के हल्के सहला रही थी।
उसके शरीर का स्पर्श पाकर मेरा 7″ का लंड पैंट में तम्बू बना रहा था।
दिल तो कर रहा था कि बस अभी उसे पकड़कर चुदाई कर लूँ।
किन्तु हालत के अनुसार अपने अरमानों पर काबू रखना पड़ा।
10:30 बजे हम वहाँ पहुँच गये।
अब बस एक जगह का इंतजाम करना था जहाँ हम दोनों चुदाई कर सकें।
हमने कुछ होटल का पता किया तो कम से कम 3000 रूपये मांग रहे थे।
चूँकि हमारे पास मुश्किल से 2 घंटे का वक़्त था क्यूंकि हमें पेपर भी देना था तो हमने इतने पैसे खर्च न करना बेहतर समझा।
फिर एक हमने वहाँ की प्रसिद्ध झील देखने जाने का फैसला लिया।
दोस्तों वहाँ जाकर देखा तो वहाँ ठण्ड की वजह से बहुत कम लोग ही आये हुए थे।
तभी सामने स्टैंड पर कुछ शिकारा नाव दिखाई दी।
दोस्तो, ये नाव काफी बड़ी होती है और इसमें चारों तरफ परदे लगे होते हैं ताकि कोई बाहर से देख न सके।
तभी हमें अपने अरमानों को साकार होने का आईडिया आया।
मैंने उस नाव वाले से पता किया तो उसने बताया कि एक घंटे नाव में घुमाने के 700 रूपये लेगा, जिसमें बीच में एक टापू पर वो नाव खडी कर देगा और आधे घंटे तक वो हमे डिस्टर्ब नहीं करेगा।
हमने तुरंत वो नाव ले ली और उसमें बैठ गये।
अन्दर बैठते ही पहले नाव को अच्छी तरह चेक किया, सारे परदे चेक किये।
और इतना इंतज़ार किया था तो अब एक पल भी रुक पाना मुश्किल था हमारे लिए।
मैंने उसे कस के अपनी बाहों में भर लिया।
पहले उसके नीचे वाले होंठ को प्यार से अपने होंठों से चूसना शुरू किया, फिर ऊपर वाले होंठ को चूसा।
धीरे धीरे उसकी जीभ को चूसा।
वो भी पूरे रंग में आकर मेरे होंठों को चूस रही थी।
करीब 15 मिनट तक हम एक दूजे को चूमते रहे।
इतने में वो टापू आ गया।
मैंने नाव वाले को 50 का एक नोट और दिया और वो समझ गया कि अब उसे नहीं आना जब तक बुलाया न जाए।
उसके जाने के बाद मैंने फटाफट नेहा का कपड़े उतारने शुरू किये।
एक मिनट में वो मेरे सामने बिल्कुल नग्न थी।
फिर उसने मुझे नंगा किया।
मैंने अपना हाथ नाव से बाहर निकालकर झील का ठंडा पानी हाथ में लिया और नेहा के बदन पर छिड़क दिया।
ठंडे पानी से उसके जिस्म में एक सिहरन सी उठी और फिर मैंने तुरंत उसे खुद से पूरी तरह चिपका लिया।
एक बार फिर से हमने चूमाचाटी करना शुरु किया।
कब उसके गले को चूमते हुए उसके गोरे-गोरे दूध कलशों को चूसना शुरू किया।
वो एक हाथ से मेरा लंड सहला रही थी।
मैं उसके जिस्म को चूसते चूसते उसकी चूत तक आ पहुँचा।
पर आज उसकी चूत का नजारा अलग था दोस्तो…
आज उसने अपनी चूत को बिल्कुल साफ़ किया हुआ था।
ऐसी प्यारी चिकनी गुलाबी चूत देखकर तो मैं बस पागल सा ही हो गया था।
मैंने तुरंत उसकी चूत को पहले चूमा, फिर अपनी जीभ से उसकी चूत को रगड़ना शुरू किया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
नेहा के मुख से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी।
‘ऊऊम्म्म आआह्ह ह्ह्ह ऊउम्म… आस्श्हश्ह्श्श… उम्म्म्म…’
उसने मेरा सर पकड़कर अपनी चूत पर दबाना शुरू कर दिया।
5 मिनट में ही उसकी चूत का पानी निकल गया।
अब मैंने अपना लंड उसके सामने किया तो वो बड़े मादक तरीके से मेरे लंड को चूसने लगी।
दोस्तो, लंड चुसवाकर जो आनन्द की अनुभूति होती है वो बयाँ कर पाना नामुमकिन है।
क्यूंकि वक़्त का तकाजा था तो हमने जल्दी ही चुदाई करने की सोची।
आज नेहा ने मुझे नीचे लेटने को कहा और वो खुद पहले ही ऊपर आ गई।
उसने एक हाथ से मेरा लंड अपनी चूत के छेद पर सेट किया और धीरे धीरे पूरा लंड चूत में लेने लगी।
मैंने पहले उसकी गोरी चिकनी गांड को दबाया और सहलाया।
फिर उसकी गांड को पकड़कर उसे जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगा।
5 मिनट में ही नेहा थकने लगी तो मैंने उसकी चूचियों को चूसना शुरू किया।
अब मैंने नेहा को नीचे लिटा दिया।
पहले उसकी चूत को एक बार निहारा।
क्या बताऊँ दोस्तों कितनी प्यारी लग रही थी उसकी गुलाबी चूत…
फिर उसकी चूत को पहले चूमा और उसकी दोनों टांगों को ऊपर कर दिया।
अब उस पर झुक कर अपना लंड उसकी गुलाबी चूत के मुहाने पर सेट किया।
नेहा भी चुदने को पूरी तरह बेताब थी।
तो देर न करते हुए मैंने एक तेज झटका मारा और पूरा लंड एक बार में ही उसकी चूत में घुसा दिया।
उसके मुख से एक चीख निकली, मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और जोर जोर से झटके मारने लगा।
दस मिनट तक की चुदाई के बाद मेरा झड़ने को हुआ तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और नेहा को चूसने को दिया।
दो मिनट की चुसाई के बाद लंड ने अपना सारा माल उसके मुख में निकाल दिया।
नेहा ने एकदम सारा माल बाहर थूक दिया और उसे कुछ उक्लाहट सी हुई।
तब मैंने उसे प्यार से समझाया कि बाबू ये तो प्यार का असली स्वाद है इसे भी प्यार करना चाहिए।
तो फिर उसने दो मिनट और लंड चूसा।
फिर मैंने कपड़े पहन कर नाव वाले को बाहर देखा तो उसने बोला कि एक घंटा होने वाला है अब वापस चलना होगा।
इसलिए हम वापस आने लगे।
अन्दर आकर नेहा और मैं एक बार फिर एक दूजे को किस करने लगे।
दस मिनट तक हमने खूब किस की और इतने में हम स्टैंड पर पहुँच गये।
उसके बाद हमने पेपर दिया और शाम को घर वापस लौट आये।
तो दोस्तो, यह थी मेरी और नेहा की वास्तविक चुदाई के पलों की दास्ताँ।
आशा करता हूँ आपको पसंद आई होगी।

बिहारी ने पंजाबन कमसिन की सील तोड़ी


दोस्तो, आज जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ, यह मुझे एक महिला मित्र ने मेल करके अनुरोध किया था लिखकर पोस्ट करने को।
अब आगे कहानी सिमरनजीत कौर के शब्दों में:
दोस्तो, मेरा नाम सिमरनजीत कौर है, सभी प्यार से मुझे सिमी बुलाते हैं।
मैं पंजाब के मोगा जिले के एक छोटे गाँव से हूँ।
मेरी उम्र 19 साल है। मैंने +2 की है और अब घर के काम ही करती हूँ।
मेरे जिस्म का आकार है 32-28-34
दोस्तो, हमारे परिवार में पापा, मम्मी, दो भाई और दो बहन और मैं हूँ।
पापा और भाई खेती करते हैं, एक बहन बड़ी 21 साल और एक छोटी है 17 साल।
दोनों भाई बड़े हैं और पापा के साथ ही काम करते हैं।
तो दोस्तो, जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि पंजाब में ज्यादातर बिहारियों को काम पर रखते हैं सभी।
ये लोग सस्ते में काम करते हैं।
तो हमारे यहाँ भी पापा ने दो बिहारी नौकरों को रखा हुआ है, दिनेश की उम्र 18, तो दूसरा रमेश 23 साल का है।
वो हमारे घर में पिछले कई सालों से काम कर रहे हैं।
जब मैं और मेरी बहने स्कूल जाती थी तो वो दोनों में से कोई एक हमें रोज स्कूल छोड़ने जाता था।
दिनेश का काम था रोज भैंसों का दोनों वक़्त दूध दुहना।
जब दिनेश दूध निकलता तो मेरी मम्मी मुझे उसके पास भेज देती थी  कि मैं देखूँ कि कहीं वो दूध में कुछ गड़बड़ तो नहीं करता।
इसलिए मैं वहाँ उसके पास खड़ी होकर देखा करती थी।
उस वक़्त दिनेश जानबूझकर सिर्फ नीचे एक लुंगी पहनकर रखता था और ऊपर कुछ नहीं पहनता था।
जब वो दूध निकालता था तो वो बीच बीच में मेरी तरफ देख के मुस्कराता था और फिर जब वो देखता मैं उसे देख रही हूँ तो बड़े प्यार से भैंस के थन को सहलाने लगता और फिर मेरे 32 साइज़ के मस्त स्तनों को घूरने लगता।
मुझे भी उसका इस तरह से घूरना अच्छा सा लगने लगा था।
मैं भी उसे देखकर धीरे से मुस्करा देती थी।
मेरे जिस्म में भी अजीब सी सरसराहट होने लगती थी।
सेक्स के प्यारे प्यारे ख्वाब पूरे बदन को रोमांचित कर देते थे।
कई दिन ऐसे ही चलता रहा।
अब मैंने नोट किया कि दिनेश मेरे आस पास रहने की कोशिश करता था।
एक दिन वो हमें स्कूल से लाने के लिए आया।
उसने साइकिल पर आगे मुझे बैठाया और पीछे बड़ी दी को।
क्योंकि छोटी बहन उस दिन नही आई थी।
रास्ते में मैंने देखा कि दिनेश जानबूझकर पैडल मारते वक़्त अपनी टांगों से मेरे चूतड़ों को रगड़ रहा था।
वो हौले हौले से अपने पैर से मेरे कूल्हों को सहला रहा था तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मेरी कुंवारी चूत में खुजली सी होने लगी थी जैसे हजारों चीटियाँ रेंग रही हों।
बीच बीच में वो खड़े होकर साइकिल चलाने की कोशिश करता था। जिससे उसका तना हुआ लंड मेरी गाण्ड से छू रहा था।
पहली बार मुझे मेरी गाण्ड पर उसके लंड के एहसास ने बहुत ज्यादा उत्तेजित कर दिया था।
मैंने बीच में उसे मुड़कर देखा और उसे स्माइल की तो वो समझ गया कि मुझे भी अच्छा लग रहा है उसका यूँ छूना।
फिर शाम को जब वो दूध निकालने लगा तो मैंने उसे मुझको भी सिखाने को कहा।
तो वो तुरन्त मान गया और उसने मुझे अपने आगे बैठा लिया।
फिर मैंने भैंस के थनों को पकड़ा तो उसने मेरे हाथ को थामकर अपने हाथ में ले लिया और मेरे हाथों को भींचकर भैंस के थनों को दबाकर दूध निकालना सिखाने लगा।
उसका लंड फिर से खड़ा हो चुका था और सिर्फ लुंगी में था तो उसका लुंगी में उठा हुआ लंड मेरी कोमल नरम गाण्ड से टकराने लगा।
मुझे अपनी गांड में उसके लंड का यूँ रगड़ना अच्छा लग रहा था तो मैंने कोई विरोध नहीं किया बल्कि उसे स्माइल देने लगी।
जिससे उसकी हिम्मत बढ़ रही थी।
फिर ऐसे ही तीन चार दिन चलता रहा।
अब हम जब अकेले में मौका मिलता तो थोड़ी बातें करने लगे थे।
फिर एक दिन जबी वो दूध निकलना सिखा रहा था तो धीरे से उसने पीछे से एक हाथ से मेरा स्तन पकड़ लिया।
मुझे उसकी इस पहल का कब से इंतजार था।
तो मैंने भी उसे मना नहीं किया।
धीरे धीरे उसने कमीज के ऊपर से ही मेरे दोनों स्तनों को खूब मसला।
पीछे से उसका खड़ा लंड मेरे चूतड़ों में फंसा हुआ था।
लेकिन इतने में मम्मी की आवाज आई और हमें जाना पढ़ा।
लेकिन अब वो समझ गया था कि मैं भी पूरी तरह से तैयार हूँ।
और वो मेरे साथ सब कुछ कर सकता है।
4-5 दिनों बाद पापा कहीं बाहर गये थे दोनों भाइयों और रमेश के साथ खेत का समान लेने।
दोनों बहनें स्कूल गई थी लेकिन मैंने छुट्टी ले रखी थी।
जब मम्मी दिन में अपनी सहेली के गई स्वेटर बुनने के लिए तो मुझे पता था वो घंटे से पहले नहीं आएँगी।
दिनेश को पापा ने घर छोड़ा हुआ था भैंसों की रखवाली और कुछ और कामों के लिए।
उस दिन मैंने लोअर और टी शर्ट पहन रखी थी जिसमें मेरे 32 साइज़ के गोर कसे स्तन बाहर झाँक रहे थे।
मैं कमरे में अकेली थी।
मैंने दिनेश को बुलाया और कहा कि मुझे किसी कीड़े ने काट लिया है शायद कंधे पर… तो वो देखे।
वो समझ गया था कि आज इस मौके का फायदा उठाना है।
उसने पहले पीछे जाकर एक हाथ से मेरे कंधे की हल्की सी मालिश की, फिर पूछा- आराम लग रहा है?
तो मैंने कहा- हाँ… अच्छा लग रहा है।
तो वो मेरे कंधे पर चुम्बन करने लगा।
मेरे मुहँ से सिसकारियाँ निकलने लगी।
फिर वो दोनों हाथ पीछे से लाकर मेरे दोनों बूब्स दबाने लगा।
मैं भी पूरी तरह गर्म हो गई थी।
फिर उसने मेरी टीशर्ट निकाल दी और ब्रा भी उतार दी।
अब वो आगे की साइड आकर मेरे दोनों स्तनों को चूसने लगा।
फिर उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी लोअर भी उतार दी।
मैंने पैंटी नहीं पहनी थी तो मैं पूरी तरह उसके सामने नंगी थी।
उसने फटाफट अपनी बनियान और लुंगी उतार दी।
उसका 6 इंच का काला फनफनाता लंड मेरे सामने था।
उसने मुझे चूसने को बोला तो पहले तो मैंने मना किया किन्तु फिर न जाने क्या सोचकर एक बार मुँह में लिया और दो तीन मिनट चूसा।
फिर वो फटाफट मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमते हुए अपना लंड मेरी चूत पर सेट करके धक्का मारा।
उसका लंड का काफी हिस्सा मेरी चूत में समा गया और मेरी जान सी निकल गई।
मेरे मना करने पर भी वो हटा नही, बोला- बीबी जी, बस एक बार दर्द होगा, थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो बस।
दो मिनट बाद वो फिर से धक्के मारने लगा।
फिर धीरे धीरे मुझे भी अच्छा सा लगना शुरू हो गया।
अब मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी।
दस मिनट की चुदाई के बाद वो मेरे अन्दर ही झड़ गया।
जब वो हटा तो देखा मेरी चूत से थोड़ा खून भी निकला हुआ था।
एक बिहारी मने एक कमसिन पंजाबन की सील तोड़ दी थी।
फिर हमने अपने कपड़े पहने और बिस्तर साफ़ किया।
आगे की कहानियों में मैं आपको बताऊँगी कि कैसे रमेश और दिनेश ने मिलकर हम तीनों बहनों को चोदा।
और ऐसी ही कहानी पंजाब के ज्यातर घरों में आज के वक़्त हो रही है।
आज बिहारी पंजाबियों के घरों की लड़कियों बहुओं के साथ कैसे कैसे सेक्स कर रहे हैं।
अंत में मैं आशिक राहुल जी का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहूँगी जिन्होंने मेरी कहानी को शब्द दिए और उसे पूरी गोपनीयता के साथ प्रकाशित करने में मेरी इतनी मदद की।
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको सिमी की यह सच्ची कहानी?

जिजा के साथ जमकर चुदाई

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मेरा पहला यौन-अनुभव


लेखिका : रोमा शर्मा
हाय दोस्तो, मेरा नाम रोमा है। मैं 22 साल की हूँ और देखने भी सुन्दर ही लगती हूँ, स्मार्ट कह सकते हैं। मुझे लगता है कि सभी के जीवन में पहली बार कुछ न सेक्सी होता है, मेरे साथ भी एसा ही कुछ हुआ था जो मैं यहाँ आपको बता रही हूँ।
यह बात पिछली बारिश की ही है, मैं कॉलेज से वापिस आ रही थी, सड़कों पर सब जगह पानी ही पानी भरा हुआ था, मैं बहुत बच बच कर अपने कपड़ों को और अपने आप को बचाते हुए चल रही थी और बची भी हुई थी कि अचानक एक बाईक सवार 25-26 साल का लड़का तेज़ी से मेरे पास से गुजरा और छपाक से सड़क का काफी पानी मेरे कपड़ों पर गिरा और संतुलन बिगड़ने से मैं ज़मीं पर जा गिरी।
इतना गुस्सा आया मुझे, वैसे भी मेरा गुस्सा तेज़ ही है, मैं जोर से चिल्लाई- यू बास्टर्ड ! अंधा है क्या?
और उसने बाईक घुमाई, मुझे लगा कि लड़ने आ रहा है, मैं भी तैयार थी लेकिन जब उसने आ कर अपना हैलमेट उतारा, बालो को झटकते हुए मुझे उठाने को अपना हाथ बढाया, और सॉरी बोला तो, तो मैं उसे देखती ही रह गई, क्या हैंडसम, स्मार्ट और सेक्सी लड़का था ! सच बताऊँ तो मेरी गालियाँ गले में ही अटक गई और मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ा दिया।
उसने मुझे जैसे ही उठाया, मुझे अपने पैर में चोट का एहसास हुआ, मैं खड़ी नहीं रह सकी, उसकी बाहों में झूल सी गई और मुँह से एक पीड़ादायी आह निकली।
“ओह सॉरी ! लगता है तुम्हें तो चोट लगी है !”
उसके सीने से लगते ही मेरे गीले बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई, मैंने अपने आपको अलग किया, बोली- कोई नहीं, ठीक है !
पर मैं लंगड़ा रही थी। वो बोला- नहीं, मैं तुम्हें डॉक्टर को दिखा कर घर छोड़ दूंगा।
फिर मेरे पास कोई चारा भी नहीं था उसके साथ सट कर बाईक पर बैठना मुझे अच्छा लगा।
उसने डॉक्टर को दिखाया, घुटने पर खरोंच थी, पेन रिलीफ क्रीम, बेंड-एड लगा कर उसने मुझे घर छोड़ दिया और मुझ से मेरा फोन नम्बर माँगा, मेरे हाल चाल लेने के लिए, जो मैंने उसे दे दिया।
और मैं दो दिन उसके ख्यालो में खोई रही, फिर उसका फोन आया, मैंने उसे बताया कि मैं अब ठीक हूँ तो उसने अपनी उस दिन की गलती के लिए मुझे ट्रीट देने को कहा।
मैं फ़ौरन तैयार हो गई, हम बाईक पर निकल पड़े, मुझे उसके साथ बहुत अच्छा लग रहा था, एक अच्छे रेस्तराँ में हमने फास्ट फ़ूड लिए इस बीच एक दूसरे की पढ़ाई की, शौककी बात होती रही, फिर कॉफ़ी आ गई।
मैं उस पर फ़िदा होती जा रही थी, कॉफ़ी जब लगभग ख़त्म होने को थी कि मेरा मोबाइल बजा, अचानक उसकी घण्टी से मैं अचकचा सी गई और सारी कॉफ़ी मेरी ड्रेस पर गिर गई।
मैं घबरा गई, वो भी मुझे संभालने के लिए खड़ा हो गया, मुझे अपने आप पर गुस्सा आया, मैं बोली- ओह, मैं चलती हूँ, मुझे इसे फ़ौरन ही साफ़ करना है।
वो बोला- यार तुम्हारा घर तो दूर है, इफ यू डोंट माइंड, मेरा कमरा पास ही है, वहाँ चलो प्लीज़ !
मेरा दिल धड़क रहा था पर मुझे जाना ही था क्योंकि ड्रेस खराब दिख रही थी। और वास्तव में उसका कमरा पास ही था और एकांत में भी था, वहाँ जाते ही वो मुझे बाथरूम में ले गया।
सच बताऊँ, न जाने क्यों मेरा दिल धड़क रहा था पर उससे डर भी नहीं लग रहा था, मैंने कहा- ये तो धोने पड़ेंगे, कैसे होगा यार?
वो बोला- तुम तब तक मेरे कपड़े पहन लेना।
और उसने अपनी टीशर्ट और एक लोअर दे दिया। एक अकेले लड़के के कमरे में अपने कपड़े उतारना मुझे अजीब लग रहा था लेकिन मजबूरी थी तो क्या करती।
उसके कपड़ों में एक अजीब सी गंध थी जो मुझे उत्तेजित कर रही थी, मैं उसके कपड़ों में और भी ज्यादा सेक्सी लगने लगी, वो मुझे देखता ही रह गया।
मैंने गीले कपड़े पंखे के नीचे फ़ैला दिए, उसने तेज़ पंखा चला दिया।
वो मुझे ही देखे जा रहा था, मुझे उसका यों देखना और भी ज्यादा गुदगुदा रहा था और कमरे में एक अजीब सी खामोशी छा गई थी।
फिर उसी ने हिम्मत दिखाई और बोला- रोमा, यार इन कपड़ों में भी तुम तो अच्छी लग रही हो।
मैं आँखे तरेर कर बोली- इन कपड़ों से तुम्हारा क्या मतलब है? मैं तो हूँ ही अच्छी !
“ओह नहीं !” वो बात को संभालने के लिए बोला- मेरा मतलब था कि…
“ख़ूब जानती हूँ मैं तुम्हारा मतलब ! यूँ कहो ना कि इन कपड़ों में मैं सेक्सी लग रही हूँ, है ना?”
और मेरे इस तरह बेधड़क बोलने से वो हक्का-बक्का रह गया, लेकिन उसमें भी हिम्मत आ गई, बोला- हाँ यार !
फिर वो मेरे नज़दीक आने लगा, अब मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम होने लगी और मैं थोड़ा पीछे की तरफ सरकी, तो अचानक कुछ सोच कर वो वहीं रुक गया और बोला- तुम अपने कपड़े सुखाओ, मैं अभी आया बस दस मिनट में !
मैं कुछ समझ नहीं पाई, लगा कि मेरा व्यवहार उसे अच्छा नहीं लगा, मुझे अपने आप पर गुस्सा भी आया क्योंकि उस लड़के का नशा मुझ पर छाता जा रहा था, मैंने उसे रोकने की कोशिश की पर वो जल्दी ही आने का कह कर चला ही गया।
और मैं ‘धत्त’ बोल कर उसके बेड पर पसर गई।
और तभी मुझे गद्दे के नीचे कुछ मोटी मोटी सी चीजें चुभी, मैंने सोचा कि क्या है ये, और गद्दा पलट दिया।
और वहाँ जो कुछ देखा, उसे देख कर मेरी आँखें फटी फटी रह गई… यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
वहाँ निहायत ही अश्लील, कामुक, नग्न और सेक्स में लिप्त चित्रों से भरी पड़ी पत्रिकाओं और उपन्यासों का ढेर पड़ा था जो शायद अचानक मेरे कमरे में आ जाने की वजह से जल्दबाजी में छुपाया गया था।
और मैं एकटक वो सब देखती रह गई, घबरा कर जैसे ही पीछे हटी तो उससे टकरा गई, वो ना जाने कब मेरे पीछे आ गया था, वो मेरे हाथ से वो किताबें छीनते हुए बोला- सॉरी रोमा, प्लीज़ ये तुम्हारे देखने की नहीं हैं।
और जाने मुझे क्या हुआ उस दिन, “क्यों? मेरे देखने की क्यों नहीं हैं?” कहते हुए वापिस उसके हाथ से वो अश्लील पत्रिका छीन ली क्योंकि मैं वैसे ही उसके अचानक जाने से गुस्से में थी।
वो बोला- ओके बाबा, देख लो लेकिन मुझे गलत तो नहीं समझोगी ना?
मैं बोली- हाँ समझूंगी तो !
वो बोला- सॉरी यार !
“इट्स ओके” मैं बोली और उन पत्रिकाओं को देखने लगी, उनमें नंगी लड़कियों के बहुत सारे फोटो थे, मैंने कहा- तुम्हें लड़कियों को नंगा देखने में मज़ा आता है?
वो फिर झेंपते हुए बोला- सॉरी यार !
मैंने डाँटते हुए कहा- कहो ना कि आता है !
और फिर आगे के पन्ने पलटे तो वहाँ स्त्री-पुरुष के संभोगरत चित्र थे, मैंने अनजान बनते हुए पूछा- हाय राम ! ये क्या कर रहे हैं/
वो थोड़ा दूर खड़ा था, बोला- क्या?
मैंने उसे अपने पास खींच लिया और कहा- अकेले में तो खूब देखते हो। अब मुझे नहीं बताओगे?
वैसे भी मेरे कपड़े सूखने में समय लगेगा।
और अब मैं बेड पर बैठी थी, उसे मैंने अपने पीछे बिठा लिया और एक एक करके और ध्यान से हम दोनों उन चित्रों को देख रहे थे, लेकिन मेरी चूत में कुछ गीला गीला सा होने लगा था, छातियाँ भी कसमसाने लगी थी, और उसकी जो टीशर्ट मैंने पहनी हुई थी उसका गला काफ़ी खुला था, ब्रा मैंने पहनी नहीं थी और वो इस तरह मेरे पीछे था कि उसे सब कुछ दिख रहा था और मुझे यहाँ लिखते हुए अब शर्म आ रही है कि मैं खुद उसे दिखाना चाह रही थी, और शायद इसी लिए मैंने टी शर्ट में हाथ डाल कर अपने दोनों स्तनों को मसला।
अब उसकी भी हिम्मत बढ़ गई थी, वो बोला- क्या हुआ रोमा? ऐनी प्रोब्लम?
मैंने कहा- हाँ, जाने क्या हो रहा है? अब इन्हें मसलूँ या किताब संभालूँ?
वो बोला- यार, तुम तो किताब ही संभालो, ओके ! इन्हें मैं सहला देता हूँ।
और उस बदमाश ने बिना मेरे जवाब की प्रतीक्षा किये मेरे दोनों उभार अपने हाथो में भर लिए, और जैसे ही उसने मेरे चूचों को मसलना शुरू किया, मैं वासना के सागर में गोते लगाने लगी और मेरी आँखें बंद सी हो गई, आगे कोई अश्लील सी कहानी थी, मैंने कहा- ओके अब यह कहानी तुम मुझे पढ़ कर सुनाओ।
उसने कहा- ओके !
और अब उसने मुझे पीछे हट के अपनी गोदी में लेटा लिया और उसके दोनों हाथ टी शर्ट के रास्ते मेरे स्तनों तक जा रहे थे तो मैंने कहा- तुम्हारी टीशर्ट फट जायेगी आज !
वो बोला- हाँ यार, सही कहा !
और उसकी टी शर्ट की चिंता करना मेरे लिए गलत हो गया उस साले ने अपनी टीशर्ट मेरे शरीर से निकाल ही दी और यह सब इतना अचानक हुआ कि मुझे पता ही नहीं चला और अब मैं नग्न-वक्षा उसकी बाहों में थी, वो मुझे वो उत्तेजक कहानी और भी उत्तेजक बना कर सुनाता जा रहा था।
अब मैं पूरी तरह से उसके काबू में थी और खुद भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी।
कहानी में उसने जब यह बोला कि लड़के ने अपने सारे कपड़े उतार दिए तो यह सुन कर मैं उससे बोली- चलो, तुम भी उतारो अपने सारे कपड़े !
और सही में उसने अपने सारे कपड़े एक एक कर के उतार दिए, और उसका शक्तिशाली, सख्त, बुरी तरह तना हुआ उठा हुआ लंड !
“ओह माय गॉड !”
काली घनी झाड़ियों में से उठा हुआ क़ुतुब मीनार !
मैं तो देख कर ही अचम्भित रह गई, और मुझे पूरे बदन में झुरझुरी सी आ गई, मुँह सूख गया, चेहरा लाल और गर्म हो गया।
वो भी मेरी हालत देख कर शायद समझ गया कि यह लड़की तो गई आज काम से, वो बोला- क्या हुआ?
और मेरे पास आया तो उसका लंड मस्त हिल रहा था, उसने कहा- आगे लिखा है !
यह कहते हुए मेरी ठोड़ी पकड़ कर चेहरा ऊपर किया, बोला- तुम्हारे ये बूब्स !
और इतना कह कर दोनों को पकड़ लिया इनके बीच में अपना ये लंड रख कर हिलाना है !
उसने अपना लंड मेरे दोनों बूब्स के बीच में दबा लिया और ऊपर-नीचे करके हिलाने लगा, लंड कड़क था, मेरे उरोज नर्म, पर मज़ा आ रहा था।
फिर उस शैतान ने लंड को नीचे कम और ऊपर ज्यादा किया, इससे हुआ यह कि अब उसका लंड मेरे होठों को छूने लगा था।
मुझे यह अजीब लग रहा था और अच्छा भी, ऐसी इच्छा हो रही थी कि खा जाऊँ !
और यह काम भी हो गया, उसने अचानक लंड को चूचों से हटा कर मेरा चेहरा कस कर पकड़ के उसे अपने लंड पर दबा दिया और उसका लंड मेरे मुँह में अंदर तक जा घुसा, मेरा
दम घुटने सा लगा लेकिन वो उसे हिलाता रहा और आखिर मुझे उसे जोर से धक्का देकर दूर करना पड़ा।
वो सॉरी बोलते हुए माफ़ी मांगने लगा, फिर उसने मुझे पीछे पलंग पर लेटा दिया और बिना समय गँवाए जो अभी मैंने पहन रखा था को खींच कर निकाल दिया।
अंदर मैंने अंडरवियर नहीं पहन रखी थी तो मैं पूरी नंगी हो गई। मेरी पैंटी गीली हो गई थी तो मैंने सूखने डाल रखी थी।
अब मेरी चूत उसके सामने थी जिस पर बालो का घना गुच्छा था, मुझे बेहद शर्म आई और उसे छुपाने के लिए मैंने अपने पाँव सिकोड़ लिए लेकिन उसने पूरी ताकत लगा कर उन्हें वापिस फ़ैला दिया और इस बार पैर चौड़े करते ही उसने मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया।
और थोड़ी ही देर में मेरी झांटों को मेरी चूत को चीरती हुई उसकी जीभ मुझे अंदर जाती महसूस हुई, मेरे मुँह से चीख निकल गई और बहुत ज्यादा गीला गीला सा लगने लगा।
वो इत्मीनान से उसे चूसता-चाटता रहा, और फिर वो मुझे चोदने की तैयारी करने लगा तो मैं घबरा गई और उठ बैठी- प्लीज़ ये मत करो, कुछ गड़बड़ हो सकती है।
लेकिन वो बोला- कुछ गड़बड़ नहीं होगी जान ! ये देखो अभी मैं मार्किट ये ही लेने गया था।
यह कहते हुए उसने मुझे कंडोम दिखाया, यानि उसकी तो पूरी तैयारी थी मुझे चोदने की !
फिर उसने कंडोम लंड पर चढ़ा कर एक हाथ से मेरा मुंह बंद करके और लंड को चूत के मुँह पर रख कर अंदर घुसा दिया और मेरे मुँह से भयानक चीख निकली, मैं दर्द से बिलबिला उठी लेकिन मेरी चीख उसकी हथेली में दब कर रह गई।
सच बताऊँ, मुझे उस समय तो मज़ा नहीं आया, और जल्दी ही दोनों झड़ भी गए।
फिर हम दोनों काफी देर तक यूँ ही निर्वस्त्र पड़े रहे, और जब मैं थोड़ी सामान्य हुई तो तो उठ कर बाथरूम भागी, अपने आपको साफ़ करने के लिए, लेकिन वो भी पीछे पीछे आ गया और शावर चला दिया और शेम्पू उड़ेल कर मुझे और खुद को झाग में सराबोर कर दिया और फिर यहाँ जो लिपटा-चिपटी का दौर चला, वो मुझे बहुत अच्छा लगा, और उसने फिर अपना लंड मेरी चूत पर टिका दिया।
मैंने कहा- अब फिर क्यों?
उसने बहुत नादान सा जवाब दिया- यार कंडोम दो लाया था, कर लो ! वरना ये बेकार जाएगा। 
और मैं पागल फिर उसकी बातो में आ गई और हमने फिर सेक्स किया लेकिन अच्छा ही किया क्योंकि इस बार मुझे बहुत-बहुत मजा आया।
तो दोस्तो, यह था मेरा पहला यौन-अनुभव !
आप लोग बताना कि कैसा लगा !

मम्मी की चुदाई


हेल्लो दोसतोन मेरा नाम रजु हे और मेन सलिम मेद हेघत(5′ 7″) और वेघत अरौनद 50-55 हे। मेन 26 साल का हुन मेन इनदिअ मेन देहरदुन मेन रेहता हुन। आज मेन आपको मेरे और मेरे मोम के सेक्स कि कहनि सुनता हुन। येह बात आज से करिब 6-7 साल पेहले कि है जब मेरि उमर 20 साल कि थि और मेरि मोम 32 कि थि। मेरि जवनि शुरु हुइ थि उनकि जवनि के शोलेय भदकते थे। मेरि मोम बहुत सेक्सी और सुनदर है। शे हस गोत अ बेऔतिफ़ुल बोदी शपे 36-28-36। शे हस गोत मेद बूबस अस वेल्ल अस बुत्तोसकस उनका सुदोल गोरा बदन बहुत हसिन हे। वैसे वोह मेरि रेअल मोम नहि हे वह मेरे दद कि सेसत्रेतरी थि बाद मेन पपा ने मता जि कि सोनसेनत से उस्से उनोफ़्फ़िसिअल्ली शदि कर लि। मेन पेहले उनको सनधया औनती कहता था पेर अब मोम हि कहता हुन।
में मोम को जब भि देखता तो मुझे उनका सेक्सी फ़िगुरे देखकर मन मे गुदगुदि होति थि। मैने उनको एक दो बर दद के ओफ़्फ़िसे मेन अधा ननगा (जैसे जब वह सकिरत पेहनति थि तो उनकि थिघस बदि जबरदसत होति थि तब वह मेरे पपा कि सेसत थि। एक दो बार मेने मोम को दद के ओफ़्फ़िसे के पवत रूम मेन जो चनगिनग रूम सुम रेसत रूम था मेन छुप कर कपदे चनगे करते भि देखा था। और मेन उनके चूचे और चद्दि के नीचे के अरेअ को छोदकर पुरा ननगा देख चुका था। मोम कि बोदी एकदुम सनगमरमर कि तरह चकनि थि। उनकि जनघेन ऐसि लगथ थि जैसे दो केले का जोदा हो। उनके होनथ एकदुम गुलब कि पनगुरियो कि तरह थे और गाल एक दुम कसमिरि सेब जैसे पिनक।
मोम एकदुम तिते फ़ित्तिनग के कपदे पेहनति थि और मेन उनको बहुत नज़दीक से देखकर अपनि अनखो को सुकुन दिया करता था। मतलब जब से मेरा लुनद खदा होना सुरु हुअ वोह बुस सनधया (मोम) को हि तलशता और सोचता था। मेन उनकि बोदी को देखकर अपने मा और अनखोन कि पयस बुझया करतह था। लेकिन पेहले जब तक वह सनधया औनती थि मुझे उनसे नफ़रत थि और मेन सोचता थना कि एक दिन इनको तसल्लि से चोदकर अपनि भदस निकलुनगा। पेर बाद मेन उनके लिये मेरे पपा के पयर ने और उनके अच्चहे बहविऔर ने मुझे चनगे कर दिया।
अब वो हमरे घर पेर फ़िरसत फ़लूर मेन रेहति थि दद और उनका बेद रूम फ़िरसत फ़लूर पेर था और हुम लोग गरौनद फ़लूर पेर रेहते हेन। दद सनधया(मोम) के साथ फ़िरसत फ़लूर पेर हि सोते हेन बेद रूम के सथ हि एक और रूम हे जो अस अ सोम्मोन रूम उसे होता हे। धीरे धीरे मेन मोम के और करिब आने लगा वह शयद मेरा इरदा नहि समझ पा रेहि थि वह मुझको वहि 12-15 साल का बछचा समझति थि पेर अब मेन जवन हो गया था। जैसे हि मेने सोल्लेगे मेन अदमिस्सिओन लिया तो दद ने ओफ़्फ़िसे का वोरक भि मुझको सिखन सुरु कर दिया और मेन भि फ़री तिमे मेन रेगुलरली ओफ़्फ़िसे का कम देखने लगा। मोसतली मेन अस्सौनतस का कम देखता हुमन कयोनकि मेन सोम्मेरसे सतुदेनत था।
सोल्लेगे मेन भि मुझे कोइ लदकि मोम से जयदा सेक्सी नहि लगति थि। अब मेन जब मौका मिले मोन को तौच करके, जैसे उनकि जनघोन पेर हाथ फ़ेर के, उनके चूतद पेर रुब करके या कभि जनबुझकर उनके बूबस छु लिया करता। मोम पता नहि जनबुझकर या अनजने इगनोरे कर देति थि या वह मेरा मोतिवे नहि समझ पति थि।
कभि दद रात को मुझे अपने बेद रूम मेन बुलते थे और ओफ़्फ़िसे के बरे मेन मोम और मेरे साथ दिससुस्स करते। कयोनकि मोम मोसतली निघत गोवन मेन होति थि और मेन पुरि तसल्लि से उनकि बोदी का मुअयना करता था। उनके बूबस बिलकुल पके हुये आम जैसे मुझे बदा ललचते थे, कै बार मोम को भि मेरा इरदा पता चल जता था पेर वोह कुच नहि केहति थि। अब तो मेरि बेचैनि बदति जा रेहि थि और मेने मोम कि चुदै का पक्का इरदा कर लिया और मौके कि तलश करने लगा।
एक दिन जब दद ने मुझे फ़िरतस फ़लूर पेर रात को 11 बजे बुलया तो मेन उपेर गया तो दद ने बतया कि उनको निघत मेन 1 बजे फ़लिघत से 1 वीक के लिये उरगेनत बहर जना हे और वोह मुझे और मोम (सनधया) को जरुरि बतेन बरिएफ़ करने लगे। मोम थोदा घबरा रहि थि तो दद ने कहा सनदी दरलिनग उ दोनत वोर्री तुम और रज सब समभल लोगे, रज तुमहरि मदद करेगा। कोइ परोबलेम हो तो मुझे सल्ल करना वैसे यौ विल्ल मनगे थेरे विल्ल बे नो परोबलेम। उसके बाद दद ने मुझेसे कहा कि सनदी थोदा नुरवौस हे तुम जरा बहर जओ मेन उसको समझता हुन।
मेन बहर आ गया तो दद ने उनदेर से दूर बनद कर दिया, लेकिन मुझको दौबत हुअ कि दद मेरि अबसेनसे मेन सनधया (मोम) को कया समझते हेन। मेन केय होले से चुपके से देलहने लगा। लुसकिली दूर पेर सुरतैन नहि चदा था और लिघत भि ओन थि। लेकिन मेने जो देका तो मेन सतुन रेह गया दद मोम को बहोन मेन लेकर किस्स कर रेहे थे और मोम सरी कर रेहि थि। फ़िर दद ने मोम के होनथ अपने होनथो पेर लेकर दीप किस्स लिया तो मोम भि जबब देने लगि। फ़िर दद मे मोम का गोवन पेचे से खल दिया और पीथ पेर रुब करने लगे। मोम और दद अभि भि एक दुसरे को किस्स कर रेहे थे और दोनो लमबि सनसे ले रेहे थे कि मेन सुन सकता था। फ़िर दद ने मोम का गोवन पीछे से उथया और उनकि चद्दि भि नेचे करके मोम के चूतद पेर रुब करने लगे। मोम कि पीथ दरवजे के तरफ़ थि जि करन मुझे मोम कि गनद और चूतद के दरशन पेहलि बार करने का मौका मिला। मोम के चूतद एक दुम सनगमरमर से मुलयम और चिकने नजर आ रेहे थे मोम सरी भि कर रेहि थि और मसति मेन लमबि सनसेन भि ले रहि थि।
फ़िर अचनक दद ने मोम का गोवन आगे से उपेर किया और उनकि चूत पेर उनगलियन फ़िरने लगे पेर मेन कुच देख नहि पया कयोनकि वोह दुसरि सिदे थि। फ़िर दद दुसरि तरफ़ पलते तो मोम कि चूत वलि सिदे मेरे तरफ़ हो गयि और अब मेन मोम कि चूत थोदि बहुत देख सकता था। पेर दूर से कुछ नज़र सफ़ नहि आ रेहा था मोम कि छोत का मेन अनदज़ लगा सकता था कयोनकि दद वहन पेर उनगलियन फ़िरा रेहे थे और मोम के खदे होने के करन चूत पुरि ननज़र नहि आ रेहि थि। वोह बुस एक छोति लिने से दिख रेहि थि जहन दद उनगलि फ़िरा रेहे थे। उसके बद दद नीच झुके और मोम कि चूत पेर अपने होनथ रख दिये। ये मुझे साफ़ नहि दिख रेहा था पेर मेन गुएस्स कर सकता था मोम अब जोर जोर से सिसकरियन लेकर मज़ा ले रहि थि और दद भि मसति मेन थे।
लेकिन अचनका जने कया हुअ कि दद रुक गये और उनहोने मोम को छोद दिया और मोम को लिपस पेर किस्स करते हुये बोले दरलिनग इ म सोर्री इ सनत गो बेयोनद लेत इ सोमे बसक, रज इस अलसो औत अनद इ म गेत्तिनग लते इ म वेरी सोर्री। मोम भि तब तक शनत हो चुकि थि पेर वोह उनसतिसफ़िएद लग रेहि थि। वोह नोरमल होते हुये बोलि इतस ओक और उनहोने अपना गोवन थीक किया। उसके बद दद ने मुझको अवज लगते हुये कहा रज र उ थेरे बेता मेन चौकन्ना हो गया और अपने को नोरमल करने लगा कयोनकि मेरा लुनद एकदुम खमबे के मफ़िक खदा हो गया था और मेरि धदकन भि नोरमल नहि थि। लेकिन जब तक दद दूर खोलते मेन नोरमल हो गया था। फ़िर दद ने दरवजा खोला और बोले दरिवेर को बुलओ और मेरे समन गदि मेन रखो। रात कफ़ि हो गयि हे उ दोनत नीद तो सोमे ऐरपोरत इ ल्ल मनगे अनद पलेअसे सी थे थे ओफ़्फ़िसे अनद फ़ोर ओने वीक तके लेअवे फ़रोम थे सोल्लेगे अनद अस्सिसत सनदी। मेन और मोम दद को दरोप करने जना चहते थे पेर दद ने सत्रिसकतली मना कर दिया। दद को हमने गूद बये कहा और दद ने हुमको बेसत ओफ़ लुसक कहते हुये किस्स किया।
जब दद चले गये तो मोम ने मुझसे कहा कि रजु आज तुम उप्पेर वले कमरे मेन हि सो जाओ मुझे कुच अच्चहा नहि लग रेहा हे। मेन तो ऐसे मौके कि तलश मेन हि था मेन एकदुम से थोदा झिझकने का नतक करते हुये हौन कह दिया। मोम और मेन फ़िरसत फ़लूर पेर आ गये और मोम बेद रूम मेन चलि गयि उनहोने मुझे पुछा कि र उ सोमफ़ोरतबले ना मेने कह येस। वोह बोलि असतुअल्ली इ म नोत फ़ीलिनग वेल्ल इसलिये तुमको परेशन किया मेन कह इतस ओक मोम। फ़िर मो उनदेर चलि गयि और मेन बहर सोम्मोन रूम मेन लिघत ओफ़्फ़ करके सो गया। मोम थोदा घबरा रेहि थि इसलिये उनहोने दरवजा बनद तो किया पेर लोसक नहि किया और निघत लमप ओफ़्फ़ नहि किया। अब मेरे को तो नीनद कहन आनि थि मेन तो मोम के सथ सपनो कि दुनियन सजा रेहा था और मेरि नज़र मोम कि असतिवितिएस पेर थि। करिब अधे गहनते बद मोम मेरे कमरे मेन आयि और जैसे हि उनहोने लिघत ओन कि तो देखा मेन भि लेता हुअ जग रेहा हुन।
मोम बोलि रज लगता हे तुमको भि नीनद नहि आ रेहि हे 2।00 बज गये हेन तुम भि शयद अपने दद के बरे मेन और कल ओफ़्फ़िसे के बरे मेन सोच रेहो हो। मैने कहा बात तो आप थीक कर रहि हेन पेर पता नहि कयोन मुझे ऐसि कोइ वोर्री नहि हे पेर नीनद नहि आ रेहि हे आप सो जाओ मेन भि सो जता हुन थोदि देर मेन नीनद आ जयेगि। मोम बोलि ओक रज पेर मेन थोदा सोमफ़ोरतबले नहि फ़ील कर रेहि हुन तुम सो जओ मेन लघत ओफ़्फ़ कर देति हुन।
तब मेन मोम से कहा कि मोम अगर आप बुरा ना मने तो ऐसा करतेन हेन कि उनदेर हि मेन भि अपके पास बैथा हुन बतेन कते हुये शयद नीनद आ जये। वोह बोलि गूद इदेरा चलो अनदेर आ जओ और मेन और मोम उनदेर बेद रूम मेन चले गये। मेन उनदेर चैर पेर बैथ गया और मोम बेद पेर बैथ गयि। फ़िर मोम बोलि रजु थनद जयदा हेन तुम भि बेद पेर हि बैथ जाओ। मेने मना करने का बहना बनया पेर मोम ने जब दुबरा बोला तो मेन उनके समने बेद पेर बैथ गया और रजै से अधा सोवेर कर लिया। अब मेन मोम को तसल्लि से वथ कर रेहा था और रजै के उनदेर मेन पयजमे का नदा थोदा धीला कर लिया था। फ़िर मेने मोम से कहा कि ओफ़्फ़िसे कि बात नहि करेनगे कुछ गप्प शप करतेन हेन मो बोलि ओक। तो मेने कहा मोम तुम बुरा ना मनो तो तुमसे एक पवत बात केहनि थि मोम बोलि सोमे ओन दोनत फ़ुस्स खुल कर कहो।
मैने कहा मोम उ र मोसत बेऔतिफ़ुल लदी इ एवेर मेत, इ रेअल्ली मेअन इत मेन गप्प शप नहि कर रेहा हुन। मेन आज से नहि जब से तुमको देखा हे तुमको अपनि कलपना अपना पयर और सब कुच मनता हुन। उ र रेअल्ली गरेअत मोम अनद उर फ़िगुरे इस मरवेलौस अनद एवेन मोसत गोरगेऔस गिरल ओफ़ 16 सनत बेअत उर बेऔती अनद सेनसुअलिती। मेन ये सब एक हि सथ कह गया कुछ तो मेन कहा कुछ मेन कहता चला गया पता नहि मुझे कया हो गया था। मोम मुझे देखति रहि और हसने लगि बोलि तुम पगल हो एक बुदिया के दिवने हो गये हो। मैने कहा नो मोम उ र मरवेल्लौस कोइ भि जवन लदकि तुमहरा मुकबला नहि कर सकति। मोम पलेअसे अगर तुम मेरि एक बात मन लो तो मेन तुमसे जिनदगि मेन कुछ नहि मनगुनगा। मोम बोलि अरे बुद्दहु कुछ बोलो भि ये शयरोन कि तरह शयरि मत करो मेन तुमहरि कया हेलप कर सकति हुन। मैने कहा मोम पलेअसे बुरा मत मन्नना पर मेन तुमको सबसे खुसुरत मनता हुन इसलिये अपनि सब से खुबसुरत लदी कि खुबसुरति को एक बर पुरि तरह देख लेना चहता हुन, मोम पलेअसे मना मत करना, नहि तो मेन सहसमुच मर जौनगा और अगर जिनदा भि रेहा तो मरे जैसा हि समझो।
मोम एकदुम चुप हो गयि और सोचने लगि फ़िर धीरे से बोलि रजु तुम सहसमुच दिवनेहो गये हो वह भि अपनि मोम के। अगर तुमहरि येहि इच्चहा हे तो ओक बुत परोमिसे मेरे सथ कोइ शररत नाहि करना नहि तो तुमहरे दद को बोल दुनगि और आनख मरते हुये बोलि तुमहरि पितै भि करुनगि। मैने कहा ओक पेर एक शरत हे कि मेन अपने आप देखुनगा आप शनत बैथि रेहो। मोम बोलि ओक मेन मोम के नज़दीक गया और मोम का गोवन का पेछे का बुत्तोन खोलकर मोम के गोवन को दोवन कर दिया फ़िर उसको उनकि कमर से नेचे लया। इसके बद मेने रजै हतयि। अब मोम मेरे समने उपेर से सेमि नुदे हो गयि थि उनके उप्पेरपेर केवल बरा हि रेह गयि थि।
मोम बिलकुल बुत कि तरह शनत थि मेन नहि समझ पा रेहा था कि उनको कया हुअ हे। मुझे लगता हे कि वह बदे सोनफ़ुसिओन मेन थि पेर मेन बदा खुस था और एक्ससितेमेनत मेन मेरि खुसि को और बदा दिया था। फ़िर मेने मोम का गोवन उनकि तनगोन से होते हुये अलग कर दिया। अब मोम केवक पनती और बरा मेन बेद पेर लेति थि। फ़िर मेने मोम कि बरा का हूक खोल दिया मोम कि एक चेख सि निकलि पेर फ़िर वह चुप हो गयि। फ़िर मेन मोम कि बरा को उनके शरिर से अलग कर दिया। उनके बूबस देखकर मेन पगल हो गय और एक्ससितेमेनत मेन मेने उनके बूबस को चूम लिया। मोम कि सिसकरि निकल गय पेर नेक्सत मोमेनत वहो सत्रिसत होति हुयि बोलि रजु बेहवे उरसेलफ़ तुमने वदा किया था। मेने कहा मोम तुम इतनि मसत चीज़ हि कि मेन अपना वद भुल गया। फ़िर मेने मोम कि पनती को निकलने लगा और मोम ने भि इसमे मेरि मदद कि पेर वोह एक बुत सि बनि थि। उनकि इस हरकत से मेन भि थोदा नुरवौस हो गया पेर मेने अपना कम नहि रोका। और पनती के नेकलते हि मेरे कलपनये सकर हो गयि थि मेन मोम कि चूत पेहलि बार देखि थि एकदुम चिकनि मकमल जैसि और एकदुम बनद ऐसा लगति थि जैसे सनतरे कि दो फ़नकेन होन। मेने बलुए फ़िलमोन मेन बहुत सि चूतेन देखि थि पेर वोह एकदुम चौरि और मरकस वलि होति हेन पेर मोम कि चूत को देखकर येह लगता हि नहि था कि वोह एक 32 साल कि औरत कि चूत हे। सबसे बदि बात ये थि कि वोह एक दुम सलेअन सवे बलद थि और गोरि ऐसि कि तजमहल का तुकदा। अब मेरे समने एक 32 साल कि लदकि ननगि लेति थि आप खुद सोचो ऐसे मेन एक 20 साल के लदके का कया हाल हो रेहा होगा।
फ़िर मेने कहा मोम पलेअसे मेन एक बर तुमहरि बोदी को महसुस करना चहता हुन कि एक औरत कि बोदी के रेअल तौवह का कया अहसस होता हे। मोम बोलि तुम अपना वदा यद रखो सोच लो वदा खिलफ़ि नहि होनि चहिये। मेन उनका सहि मतलब नहि समझ पया पेर उनकि ननगि कया देखकर मेन पेहले हि बेशुध हो चुका था अगर कोइ कमि थि तो मोम के रेसपोनसे कि और मेरे पेहले एक्सप कि वजह से झिझक कि। फ़िर मेन मोम के लिपस का एक दीप किस्स लिया उअर उनको उनकि पेथ से बहोन मेन ले लिया और उनकि पीथ पेर रुब करने लगा। मोम का कोइ रेसपोनसे नहि आया पेर उनके बूबस का तौच मुझे पगल कर रेहा था ऐसा तौच मुझे पेहलि बर हुअ था मेन समझ नहि पा रेहा था कि वोह बूबस थे या मरबले और वेलवेत्ते का मिक्स, आअह फ़रिनदस इत वस अ रेअल्ली गरेअत फ़ीलिनग। उसके बाद मेने मोम को पलता और अब उनकि पीथ पेर किस्स करने लगा और उनके बूबस को मसलने लगा। ऊह इ वस इन 7थ सकी फ़रिएनदस इ सनत तेल्ल उ कया मज़्ज़ा आ रेहा था। मोम भि अब कोइ विरोध नहि कर रहि थि पेर उनका रेसपोनसे बहुत पोसितिवे नहि था। पेर मुझे अब इस बात का कोइ अहसस नहि था कि मोम कया सोच रहि हे। मिएन तो सचमुच जन्नत के दरवजे कि तरफ़ बद रेहा था और मोम कि बोदी का तसते ले रेहा था।
मोम के बूबस का रस सचमुच बदहि रसीला था मेने अब उनके निप्पले पेर दनतो से कतना सुरु किया तो मोम पेहलि बार चीखि और बोलि अरे कात दलेगा कया, आरम से कर हरमि। मिएन समझ गया कि अब मो भि मसत हो चुकि हेन मेने अपना पयजमा उतर दिया और बनियन भि उतर दि अब मेन केवल उनदेरवेअर मेन था। कुच देर मोम के बूबस छोसेने के बाद मेने मोम कि नवेल पेर किस्स करना सुरु कर दिया तो मोम बे पेर उछलने लगि और सिसकरिया लेने लगि। मिएन हथोन से उनके बूबस दबा रेहा था और होनथोन से उन नवेल को चुम रेहा था। फ़िर मेन और नेचे गया और मोम के अबदोमेन के पस और पुबिस अरेअ मेन किस्स करने लगा। दोसतोन मेन बता नहि सकता और आप भि केवल मस्सुस कर सकते हिएन कि कया मज़्ज़ा आ रेहा था।
इसके बाद मेने मोम कि तनगोन पेर भि हाथ फ़िरना शुरु कर दिया उनकि तनगेन बदि मुलयम और समूथ थि। मुझे लगता हे मो अपनि बोदी का बहुत खयल रेखति हेन और दद भि तो उनकि इस लजबब बोदी के गुलम हो गये थे। बुत शे इस गरेअत लदी रेअल्ली इन अल्ल रेसपेसत और इस तिमे तो वोह मेरि सलिओपेत्रा बनि हुयि थि। अब मेन मोम कि तनगोन और जनघोन पेर अपना कमल दिखन शुरु कर दिया और मेन कभि उनको चुमता कभि दबता और कभि रुब करता। मोम भि अब तक मसत हो चुकि थि और मेरा पुरा साथ दे रहि थि पेर मेने अब तक एनत्री गते पेर दसतक नहि दि थि मेन मोम को पुरा मसत कर देना चहता था और मेने अपने लुनद को फ़ुल्ल सोनत्रोल मेन रखा था। मेन मोम कि बोदी को अभि भि अपने होनथो और उनगलियोन और हथोन से हि रोनद रेहा था।
अब तो मोम भि पुरि तरह गरम हो चुकि थि और वदे वलि बात भुलकर मसति मेन पुरे जोर से मेरा सथ दे रहि थि। और चेखने लगि अरे रजु अब आ भ जा यार पलेअसे मत तदपा जलिम जलदि से मेरे उपेर आ जा। मेने कहा बुस मोम जुसत वैत मेन तययर हो रेहा हुन बु एक मिनुते रूक जाओ मेन भि आता हुन। तभि मोम ने मेरा उनदवेअर नेचे खेनसक दिया और वोह बोलि अबे मदर छोद अपनि मोम कि बात नहि मनेगा। इतना कहकर उनहोने अब मेरा लुनद पकद कर जोर से दबा दिया मेरि तो चीख निकल गयि और अब तक जो मेरा लुनद तययर था बिलकुल बेतब हो गया।
मेने मोम कि दोनो तनगोन को दूर करते हुये उनकि रिघत थिघ पेर बैथ गया और उनके चूतद को दोन्नो हथोन से धकेलते हुये अपना लुनद उनकि चूत के पास ले गया और पुरे जोर का धक्का दिया तो मेरा अधा लुनद उनक चूत मेन समा गया। मेरि तो चेख निकल गयि लेकिन मोम को कुछ तसल्लि हुयि और वोह मेरे अगले असतिओन का इनतज़ार करने लगि। मेने एक और ज़ोरदर धक्का लगया तो पुरा लुनद उनदेर चला गया अब मेने धीरे धीएरे उनदेर बहर करना सुरु किया और मोम कि दुसरि जबघ को अपने कनधे कि तरफ़ रख दिया रिघत थिघ पेर बैथ कर अपना चुदै करयकरम सुरु कर दिया। अब तो मोम पुरे मज़े मेन आ गयि और मेरा पुरा सहयोग करने लगि। पुरे कमरे मेन मेरे और मोम के चुदै परगरम का मुसिस सुरु हो गया।
मोम भि शह्हह।।अह्हह करने लगि बोलि अनदर तक घुमदे अपना लुनद,,मैं भि जोर से अनदर बहर करने लगा बोलि मसति आ रहि है तुझेभि, मज़ा आ गया आज बहुत दिन बाद जवानि का मज़ा पाया है कसम से आज तुने मुझे अपनि जवानि के दिन याद दिला दिये अयययययीईईईइ ईईईईईस्सस्सस्सस्स मैर भि बहुत जोश के साथ चुदायि कर रहा था मैं बोलै आज तेरि चूत कि धज्जियान उदा दूनगा अब तु दद से चुदवाना भूल जायेगि हर वकत मेरा हि लुनद अपनि चूत मे दलवाने को तदपा करेगि मोम – आआआआआह्हह्हह्हह्ह आआआयीईईईइ कया मज़ा आ रहा है, फ़ुसक मे हरद र्रर्रर आआआआआ ज्जज्जज्जज्जज्ज ऊउ जूऊऊउ सोमे ओन और फ़सत उ मी दरलिनग। मेन भि बोला येस मी फ़ैर लदी सुरे।
मोम बोलि मुझको सनधया के नाम से बुलओ कहो सनधया मेरि जान, मेने ओक सनधया दरलिनग ये ले मज़्ज़ा आअ रेहा हे ना आज मेन भि अपने लुनद से तेरि चूत को फ़द के रख देता हुन। वह चिल्ला रहि थि आअह गूद। म्मम्मम्मम्मम्मम आआअह्हह्हह्हह्हह्ह उह्हह्हह्हह्हह्ह म्मम्मम्मम्म। फ़िर अचनक जब मुझे कुछ दबव सा महसूस होने लगा तो मोम बोलि रजु अब बुस एक बार अब धीरे धीरे कर दे मेरा तो पनि निकल दिया तुने। मेने सपीद थोदा कम कर दि और अब मोम और मेन थकने भि लगे थे। अचनक मेरा सरा दबव मेरे लुनद के रसत मोम कि चोत कि घति मेन समा गया और मोम भि शनत हो गयि। और हु दोनो एक दुसरे के उपेर लते गये। मेरा लुनद मोम कि चूत के उनदेर हि था एक दुसरे से बिना कुच बोले हि हुम दोनो वैसे हि सो गये। मोरनिनग जब नीनद खुलि तो 6।00 बज गये थे और मेरा लुनद मोम कि चूत मेन वैसे पदा था।
मेने मोम को जगया तो वह शरमने सा लगि फ़िर बोलि रजु तुम तो एकदुम जवन हो गये हो, तुमने आज इस 32 सल कि बुदिया को 16 साल कि गुदिया बना दिया।तब मेने कहा अब तु मुझे बुलयेगि कयो बोल? और उसने मुझे अलग करके दूर करते हुये कहा जरुर मेरि जान। अपने उपर लितया मुझे किस्स किया मैने भि फिरसे मोम के मथे पर, बूस पर, नभि पर किस्स कर बगल मे हि लेत गया और सुबा तक एक सथ लिपत केर चिपक कर सोये रहे, 7।00 बजे मोम ने उथया और मुसकरयी, बोलि यद रखना इसको रज रखना?मैं भि बोला ऐसे हि एनत्रतैनमेनत करति रहना।

तीन भाभियाँ की चुदाई


नमस्ते,
में हूँ मंगल. आज में आप को हमारे खंडन की सबसे खनगी बात बताने जा रहा हूँ मेरे हिसाब से मैंने कुछ बुरा किया नहीं है हालन की काई लोग मुझे पापी समज़ेंगे. कहानी पढ़ कर आप ही फ़ैसला कीजिएगा की जो हुआ वो सही हुआ है या नहीं.
कहानी काई साल पहले की उन दीनो की है जब में अठारह साल का था और मेरे बड़े भैया, काशी राम चौथी शादी करना सोच रहे थे.
हम सब राजकोट से पच्चास किलोमेटर दूर एक छ्होटे से गाओं में ज़मीदार हैं एक साओ बिघन की खेती है और लंबा चौड़ा व्यवहार है हमारा. गाओं मे चार घर और कई दुकानें है मेरे माता-पिताजी जब में दस साल का था तब मार गए थे. मेरे बड़े भैया काश राम और भाभी सविता ने मुझे पल पोस कर बड़ा किया.
भैया मेरे से तेरह साल बड़े हें. उन की पहली शादी के वक़्त में आठ साल का था. शादी के पाँच साल बाद भी सविता को संतान नहीं हुई. कितने डॉकटर को दिखाया लेकिन सब बेकार गया. भैया ने डूसरी शादी की, चंपा भाभी के साथ तब मेरी आयु तेरह साल की थी.
लेकिन चंपा भाभी को भी संतान नहीं हुई. सविता और चंपा की हालत बिगड़ गई, भैया उन के साथ नौकरानीयों जैसा व्यवहार कर ने लगे. मुझे लगता है की भैया ने दो नो भाभियों को छोड़ना चालू ही रक्खा था, संतान की आस में.
डूसरी शादी के तीन साल बाद भैया ने तीसरी शादी की, सुमन भाभी के साथ. उस वक़्त में सोलह साल का हो गया था और मेरे बदन में फ़र्क पड़ना शुरू हो गया था. सब से पाहेले मेरे वृषाण बड़े हो गाये बाद में कखह में और लोडे पैर बाल उगे और आवाज़ गाहेरा हो गया. मुँह पैर मुच्च निकल आई. लोडा लंबा और मोटा हो गया. रात को स्वप्न-दोष हो ने लगा. में मूट मारना सिख गया. 
सविता और चंपा भाभी को पहली बार देखा तब मेरे मान में छोड़ने का विचार तक आया नहीं था, में बच्चा जो था. सुमन भाभी की बात कुच्छ ओर थी. एक तो वो मुज़से चार साल ही बड़ी थी. दूसरे, वो काफ़ी ख़ूबसूरत थी, या कहो की मुझे ख़ूबसूरत नज़र आती थी. उसके आने के बाद में हैर रात कल्पना किए जाता था की भैया उसे कैसे छोड़ते होंगे और रोज़ उस के नाम मूट मार लेता था. भैया भी रात दिन उसके पिच्छे पड़े रहते थे. सविता भाभी और चंपा भाभी की कोई क़ीमत रही नहीं थी. में मानता हूँ है की भैया चांगे के वास्ते कभी कभी उन दो नो को भी छोड़ते थे. तजुबई की बात ये है की अपने में कुच्छ कमी हो सकती है ऐसा मानने को भैया तैयार नहीं थे. लंबे लंड से छोड़े और ढेर सारा वीरय पत्नी की छूट में उंदेल दे इतना काफ़ी है मर्द के वास्ते बाप बनाने के लिए ऐसा उन का दरध विस्वास था. उन्होने अपने वीरय की जाँच करवाई नहीं थी.
उमर का फ़ासला काम होने से सुमन भाभी के साथ मेरी अचची बनती थी, हालन की वो मुझे बच्चा ही समाजति थी. मेरी मौजूदगी में कभी कभी उस का पल्लू खिसक जाता तो वो शरमति नहीं थी. इसी लिए उस के गोरे गोरे स्तन देखने के कई मौक़े मिले मुझे. एक बार स्नान के बाद वो कपड़े बदल रही थी और में जा पहुँचा. उस का आधा नंगा बदन देख में शरमा गया लेकिन वो बिना हिच किचत बोली, ‘दरवाज़ा खीत ख़िता के आया करो.’
दो साल यूँ गुज़र गाये में अठारह साल का हो गया था और गाओं की सचूल की 12 वी में पढ़ता था. भैया चौथी शादी के बारे में सोचने लगे. उन दीनो में जो घटनाएँ घाटी इस का ये बयान है
बात ये हुई की मेरी उम्र की एक नोकारानी, बसंती, हमारे घर काम पे आया करती थी. वैसे मैंने उसे बचपन से बड़ी होते देखा था. बसंती इतनी सुंदर तो नहीं थी लेकिन चौदह साल की डूसरी लड़कियों के बजाय उस के स्तन काफ़ी बड़े बड़े लुभावने थे. पतले कपड़े की चोली के आर पार उस की छोटी छोटी निपपलेस साफ़ दिखाई देती थी. में अपने आप को रोक नहीं सका. एक दिन मौक़ा देख मैंने उस के स्तन थाम लिया. उस ने ग़ुस्से से मेरा हाथ ज़टक डाला और बोली, ‘आइंदा ऐसी हरकत करोगे तो बड़े सेठ को बता दूँगी’ भैया के दर से मैंने फिर कभी बसंती का नाम ना लिया.
एक साल पहले सत्रह साल की बसंती को ब्याह दिया गया था. एक साल ससुराल में रह कर अब वो दो महीनो वास्ते यहाँ आई थी. शादी के बाद उस का बदन भर गया था और मुझे उस को छोड़ने का दिल हो गया था लेकिन कुच्छ कर नहीं पता था. वो मुज़ से क़तराती रहती थी और में दर का मारा उसे दूर से ही देख लार तपका रहा था.
अचानक क्या हुआ क्या मालूम, लेकिन एक दिन महॉल बदल गया. दो चार बार बसंती मेरे सामने देख मुस्कराई. काम करते करते मुझे गौर से देखने लगी मुझे अचच्ा लगता था और दिल भी हो जाता था उस के बड़े बड़े स्तनों को मसल डालने को. लेकिन दर भी लगता था. इसी लिए मैंने कोई प्रतिभव नहीं दिया. वो नखारें दिखती रही.
एक दिन दोपहर को में अपने स्टूदय रूम में पढ़ रहा था. मेरा स्टूदय रूम अलग मकान में था, में वहीं सोया करता था. उस वक़्त बसंती चली आई और रोटल सूरत बना कर कहने लगी ‘इतने नाराज़ क्यूं हो मुज़ से, मंगल ?’
मैंने कहा ‘नाराज़ ? में कहाँ नाराज़ हूँ ? में क्यूं हौन नाराज़?’
उस की आँखों में आँसू आ गाये वो बोली, ‘मुझे मालूम है उस दिन मैंने तुमरा हाथ जो ज़टक दिया था ना ? लेकिन में क्या करती ? एक ओर दर लगता था और दूसरे दबाने से दर्द होता था. माफ़ कर दो मंगल मुझे.’
इतने में उस की ओधनी का पल्लू खिसक गया, पता नहीं की अपने आप खिसका या उस ने जान बुज़ के खिसकया. नतीजा एक ही हुआ, लोव कूट वाली चोली में से उस के गोरे गोरे स्तनों का उपरी हिस्सा दिखाई दिया. मेरे लोडे ने बग़ावत की नौबत लगाई.
में, उस में माफ़ करने जैसी कोई बात नहीं है म..मैंने नाराज़ नहीं हूँ तो मुझे मागणी चाहिए.’
मेरी हिच किचाहत देख वो मुस्करा गयी और हास के मुज़ से लिपट गयी और बोली, ‘सच्ची ? ओह, मंगल, में इतनी ख़ुश हूँ अब. मुझे दर था की तुम मुज़ से रुत गाये हो. लेकिन में टुमए माफ़ नहीं करूंगी जब तक तुम मेरी चुचियों को फिर नहीं छ्छुओगे.’ शर्म से वो नीचा देखने लगी मैंने उसे अलग किया तो उस ने मेरी कलाई पकड़ कर मेरा हाथ अपने स्तन पैर रख दिया और दबाए रक्खा.
‘छोड़, छोड़ पगली, कोई देख लेगा तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.’
‘तो होने दो. मंगल, पसंद आई मेरी च्छुचि ? उस दिन तो ये कच्ची थी, छ्छू ने पैर भी दर्द होता था. आज मसल भी डालो, मज़ा आता है
मैंने हाथ छ्छुड़ा लिया और कहा, ‘चली जा, कोई आ जाएगा.’
वो बोली, ‘जाती हूँ लेकिन रात को आओुंगी. आओउन ना ?’
उस का रात को आने का ख़याल मात्र से मेरा लोडा टन गया. मैंने पूच्छा, ‘ज़रूर आओगी?’ और हिम्मत जुटा कर स्तन को छ्ुा. विरोध किए बिना वो बोली,
‘ज़रूर आओुंगी. तुम उपर वाले कमरे में सोना. और एक बात बताओ, तुमने किस लड़की को छोड़ा है ?’ उस ने मेरा हाथ पकड़ लिया मगर हटाया नहीं.
‘नहीं तो.’ कह के मैंने स्तन दबाया. ओह, क्या चीज़ था वो स्तन. उस ने पूच्छा, ‘मुझे छोड़ना है ?’ सुन ते ही में छोंक पड़ा.
‘उन्न..ह..हाँ
‘लेकिन बेकिन कुच्छ नहीं. रात को बात करेंगे.’ धीरे से उस ने मेरा हाथ हटाया और मुस्कुराती चली गयी
मुझे क्या पता की इस के पिच्छे सुमन भाभी का हाथ था ?
रात का इंतज़ार करते हुए मेरा लंड खड़ा का खड़ा ही रहा, दो बार मूट मरने के बाद भी. क़रीबन दस बजे वो आई.
‘सारी रात हमारी है में यहाँ ही सोने वाली हूँ उस ने कहा और मुज़ से लिपट गयी उस के कठोर स्तन मेरे सीने से डब गाये वो रेशम की चोली, घाघारी और ओधनी पहेने आई थी. उस के बदन से मादक सुवास आ रही थी. मैंने ऐसे ही उस को मेरे बहू पाश में जकड़ लिया
‘हाय डैया, इतना ज़ोर से नहीं, मेरी हड्डियान टूट जाएगी.’ वो बोली. मेरे हाथ उस की पीठ सहालाने लगे तो उस ने मेरे बालों में उंगलियाँ फिरनी शुरू कर दी. मेरा सर पकड़ कर नीचा किया और मेरे मुँह से अपना मुँह टीका दिया.
उस के नाज़ुक होत मेरे होत से छूटे ही मेरे बदन में ज़्रज़ुरी फैल गयी और लोडा खड़ा होने लगा. ये मेरा पहला चुंबन था, मुझे पता नहीं था की क्या किया जाता है अपने आप मेरे हाथ उस की पीठ से नीचे उतर कर छूटड़ पर रेंगने लगे. पतले कपड़े से बनी घाघारी मानो थी ही नहीं. उसके भारी गोल गोल नितंब मैंने सहलाए और दबोचे. उसने नितंब ऐसे हिलाया की मेरा लंड उस के पेट साथ डब गया.
थोड़ी देर तक मुह से मुँह लगाए वो खड़ी रही. अब उस ने अपना मुँह खोला और ज़बान से मेरे होत चाटे. ऐसा ही करने के वास्ते मैंने मेरा मुँह खोला तो उस ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी. मुझे बहुत अचच्ा लगा. मेरी जीभ से उस की जीभ खेली और वापस चली गयी अब मैंने मेरी जीभ उस के मुँह में डाली. उस ने होत सिकूड कर मेरी जीभ को पकड़ा और चूस. मेरा लंड फटा जा रहा था. उस ने एक हाथ से लंड टटोला. मेरे तटर लंड को उस ने हाथ में लिया तो उत्तेजना से उस का बदन नर्म पद गया. उस से खड़ा नहीं रहा गया. मैंने उसे सहारा दे के पलंग पैर लेताया. चुंबन छोड़ कर वो बोली, ‘हाय, मंगल, आज में पंद्रह दिन से भूकि हूँ पिच्छाले एक साल से मेरे पति मुझे हर रोज़ एक बार छोड़ते है लेकिन यहाँ आने के मुझे जलदी से छोड़ो, में मारी जा रही हूँ
मुसीबत ये थी की में नहीं जनता था की छोड़ने में लंड कैसे और कहाँ जाता है फिर भी मैंने हिम्मत कर के उस की ओधनी उतर फेंकी और मेरा पाजामा निकल कर उस की बगल में लेट गया. वो इतनी उतावाली हो गई थी की चोली घाघारी निकल ने रही नहीं. फटाफट घाघारी उपर उठाई और जांघें चौड़ी कर मुझे उपर खींच लिया. यूँ ही मेरे हिप्स हिल पड़े थे और मेरा आठ इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड अंधे की लकड़ी की तरह इधर उधर सर टकरा रहा था, कहीं जा नहीं पा रहा था. उस ने हमारे बदन के बीच हाथ डाला और लंड को पकड़ कर अपनी भोस पैर दीरेक्ट किया. मेरे हिप्स हिल ते थे और लंड छूट का मुँह खोजता था. मेरे आठ दस धक्के ख़ाली गाये हैर वक़्त लंड का मट्ता फिसल जाता था. उसे छूट का मुँह मिला नहीं. मुझे लगा की में छोड़े बिना ही ज़द जाने वाला हूँ लंड का मट्ता और बसंती की भोस दोनो काम रस से तार बतर हो गाये थे. मेरी नाकामयाबी पैर बसंती हास पड़ी. उस ने फिर से लंड पकड़ा और छूट के मुँह पैर रख के अपने छूटड़ ऐसे उठाए की आधा लंड वैसे ही छूट में घुस गया. तुरंत ही मैंने एक धक्का जो मारा तो सारा का सारा लंड उस की योनी में समा गया. लंड की टोपी खीस गयी और चिकना मट्ता छूट की दीवालों ने कस के पकड़ लिया. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की में रुक नहीं सका. आप से आप मेरे हिप्स तल्ला देने लगे और मेरा लंड अंदर बाहर होते हुए बसंती की छूट को छोड़ने लगा. बसंती भी छूटड़ हिला हिला कर लंड लेने लगी और बोली, ‘ज़रा धीरे छोड़, वरना जल्दी ज़द जाएगा.’
मैंने कहा, ‘में नहीं छोड़ता, मेरा लंड छोड़ता है और इस वक़्त मेरी सुनता नहीं है
‘मार दालोगे आज मुझे,’ कहते हुए उस ने छूटड़ घुमए और छूट से लंड दबोचा. दोनो स्तानो को पकड़ कर मुँह से मुँह छिपका कर में बसंती को छोड़ते चला.
धक्के की रफ़्तार में रोक नहीं पाया. कुच्छ बीस पचीस तल्ले बाद अचानक मेरे बदन में आनंद का दरिया उमड़ पड़ा. मेरी आँखें ज़ोर से मूँद गयी मुँह से लार निकल पड़ी, हाथ पाँव आकड़ गाये और सारे बदन पैर रोएँ ए खड़े हो गाये लंड छूट की गहराई में ऐसा घुसा की बाहर निकल ने का नाम लेता ना था. लंड में से गरमा गरम वीरय की ना जाने कितनी पिचकारियाँ छ्छुथी, हैर पिचकारी के साथ बदन में ज़ुरज़ुरी फैल गयी थोड़ी देर में होश खो बेइता.
जब होश आया तब मैंने देखा की बसंती की टाँगें मेरी कमर आस पास और बाहें गार्दन के आसपास जमी हुई थी. मेरा लंड अभी भी ताना हुआ था और उस की छूट फट फट फटके मार रही थी. आगे क्या करना है वो में जनता नहीं था लेकिन लंड में अभी गुड़गूदी होती रही थी. बसंती ने मुझे रिहा किया तो में लंड निकल कर उतरा.
‘बाप रे,’ वो बोली, ‘इतनी अचची छुड़ाई आज कई दीनो के बाद की.’
‘मैंने तुज़े ठीक से छोड़ा ?’
‘बहुत अचची तरह से.’
हम अभी पलंग पैर लेते थे. मैंने उस के स्तन पैर हाथ रक्खा और दबाया. पतले रेशमी कपड़े की चोली आर पार उस की कड़ी निपपले मैंने मसाली. उस ने मेरा लंड टटोला और खड़ा पा कर बोली, ‘अरे वाह, ये तो अभी भी तटर है कितना लंबा और मोटा है मंगल, जा तो, उसे धो के आ.’
में बाथरूम में गया, पिसब किया और लंड धोया. वापस आ के मैंने कहा, ‘बसंती, मुझे तेरे स्तन और छूट दिखा. मैंने अब तक किसी की देखी नहीं है
उस ने चोली घाघारी निकल दी. मैंने पहले बताया था की बसंती कोई इतनी ख़ूबसूरत नहीं थी. पाँच फ़ीट दो इंच की उँचाई के साथ पचास किलो वज़न होगा. रंग सांवला, चहेरा गोल, आँखें और बल काले. नितंब भारी और चिकाने. सब से अचच्े थे उस के स्तन. बड़े बड़े गोल गोल स्तन सीने पैर उपरी भाग पैर लगे हुए थे. मेरी हथेलिओं में समते नहीं थे. दो इंच की अरेओला और छोटी सी निपपले काले रंग के थे. चोली निकल ते ही मैंने दोनो स्तन को पकड़ लिया, सहलाया, दबोचा और मसला.
उस रात बसंती ने मुझे पुख़्त वाय की भोस दिखाई. मोन्स से ले कर, बड़े होत, छ्होटे होत, क्लटोरिस, योनी सब दिखाया. मेरी दो उंगलियाँ छूट में डलवा के छूट की गहराई भी दिखाई, ग-स्पोत दिखाया. वो बोली, ‘ये जो क्लटोरिस है वो मरद के लंड बराबर होती है छोड़ते वक़्त ये भी लंड की माफ़िक कड़ी हो जाती है दूसरे, तू ने छूट की दिवालें देखी ? कैसी कारकरी है ? लंड जब छोड़ता है तब ये कारकरी दीवालों के साथ घिस पता है और बहुत मज़ा आता है हाय, लेकिन बच्चे का जन्म के बाद ये दिवालें चिकानी हो जाती है छूट चौड़ी हो जाती है और छूट की पकड़ काम हो जाती है
मुझे लेता कर वो बगल में बेइत गयी मेरा लंड तोड़ा सा नर्म होने चला था, उस को मुट्ठि में लिया. टोपी खींच कर मट्ता खुला किया और जीभ से चटा. तुरंत लंड ने तुमका लगाया और तटर हो गया. में देखता रहा और उस ने लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी मुँह में जो हिस्सा था उस पैर वो जीभ फ़ीयरती थी, जो बाहर था उसे मुट्ठि में लिए मूट मरती थी. दूसरे हाथ से मेरे वृषाण टटोलती थी. मेरे हाथ उस की पीठ सहला रहे थे.
मैंने हस्ट मैथुन का मज़ा लिया था, आज एक बार छूट छोड़ने का मज़ा भी लिया. इन दोनो से अलग किसम का मज़ा आ रहा था लंड चूसवाने में. वो भी जलदी से एक्शसीते होती चली थी. उस के तुँक से लाड़बड़ लंड को मुँह से निकल कर वो मेरी जांघे पैर बेइत गयी अपनी जांघें चौड़ी कर के भोस को लंड पैर टिकया. लंड का मट्ता योनी के मुख में फसा की नितंब नीचा कर के पूरा लंड योनी में ले लिया. उस की मोन्स मेरी मोन्स से जुट गयी
‘उहहहहह, मज़ा आ अगया. मंगल, जवाब नहीं तेरे लंड का. जितना मीठा मुँह में लगता है इतना ही छूट में भी मीठा लगता है कहते हुए उस ने नितंब गोल घुमए और उपर नीचे कर के लंड को अंदर बाहर कर ने लगी आठ दस धक्के मार ते ही वो तक गयी और ढल पड़ी. मैंने उसे बात में लिया और घूम के उपर आ गया. उस ने टाँगें पसारी और पाँव अड्धार किया. पॉसीटिओं बदलते मेरा लंड पूरा योनी की गहराई में उतर गया. उस की योनी फट फट करने लगी
सिखाए बिना मैंने आधा लंड बाहर खींचा, ज़रा रुका और एक ज़ोरदार धक्के के साथ छूट में घुसेद दिया. मोन्स से मोन्स ज़ोर से टकराई. मेरे वृषाण गांड से टकराए. पूरा लंड योनी में उतर गया. ऐसे पाँच सात धक्के मारे. बसंती का बदन हिल पड़ा. वो बोली, ‘ऐसे, ऐसे, मंगल, ऐसे ही छोड़ो मुझे. मारो मेरी भोस को और फाड़ दो मेरी छूट को.’
भगवान ने लंड क्या बनाया है छूट मार ने के लिए कठोर और चिकना; भोस क्या बनाई है मार खाने के लिए घनी मोन्स और गद्दी जैसे बड़े होत के साथ. जवाब नहीं उन का. मैने बसंती का कहा माना. फ़्री स्टयले से तापा ठप्प में उस को छोड़ ने लगा. दस पंद्रह धक्के में वो ज़द पड़ी. मैंने पिस्तोनिंग चालू रक्खा. उस ने अपनी उंगली से क्लटोरिस को मसला और डूसरी बार ज़ड़ी. उस की योनी में इतने ज़ोर से संकोचन हुए की मेरा लंड डब गया, आते जाते लंड की टोपी उपर नीचे होती चली और मट्ता ओर टन कर फूल गया. मेरे से अब ज़्यादा बारदस्त नहीं हो सका. छूट की गहराई में लंड दबाए हुए में ज़ोर से ज़ड़ा. वीरय की चार पाँच पिचकारियाँ छ्छुथी और मेरे सारे बदन में ज़ुरज़ुरी फैल गयी में ढल पड़ा.
आगे क्या बतौँ ? उस रात के बाद रोज़ बसंती चली आती थी. हमें आधा एक घंटा समय मिलता था जब हम जाम कर छुड़ाई करते थे. उस ने मुझे काई टेचनक सिखाई और पॉसीटिओं दिखाई. मैंने सोचा था की काम से काम एक महीना तक बसंती को छोड़ ने का लुफ्ट मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एक हपते में ही वो ससुराल वापस छाई गयी
असली खेल अब शुरू हुआ.
बसंती के जाने के बाद तीन दिन तक कुच्छ नहीं हुआ. में हैर रोज़ उस की छूट याद कर के मूट मरता रहा. चौथे दिन में मेरे कमरे में पढ़ ने का प्रयत्न कर रहा था, एक हाथ में तटर लंड पकड़े हुए, और सुमन भाभी आ पहॉंची. ज़त पाट मैंने लंड छोड़ कपड़े सरीखे किया और सीधा बेइत गया. वो सब कुच्छ समाजति थी इस लिए मुस्कुराती हुई बोली, ‘कैसी चल रही है पढ़ाई, देवर्जी ? में कुच्छ मदद कर सकती हूँ ?’
भाभी, सब ठीक है मैंने कहा.
आँखों में शरारत भर के भाभी बोली, ‘पढ़ते समय हाथ में क्या पकड़ रक्खा था जो मेरे आते ही तुम ने छोड़ दिया ?’
नहीं, कुच्छ नहीं, ये तो..ये में आगे बोल ना सका.
तो मेरा लंड था, यही ना ?’ उस ने पूच्छा.
वैसे भी सुमन मुझे अचची लगती थी और अब उस के मुँह से ‘लंड’ सुन कर में एक्शसीते होने लगा. शर्म से उन से नज़र नहीं मिला सका. कुच्छ बोला नहीं.
उस ने धीरे से कहा, ‘कोई बात नहीं. मे समाजति हूँ लेकिन ये बता, बसंती को छोड़ना कैसा रहा? पसंद आई उस की काली छूट ? याद आती होगी ना ?’
सुन के मेरे होश उड़ गाये सुमन को कैसे पता चला होगा? बसंती ने बता दिया होगा? मैंने इनकार करते हुए कहा, ‘क्या बात करती हो ? मैंने ऐसा वैसा कुच्छ नहीं किया है
‘अचच्ा ?’ वो मुस्कराती हुई बोली, ‘क्या वो यहाँ भजन करने आती थी?’
‘वो यहाँ आई ही नहीं,’ मैंने डरते डरते कहा. सुमन मुस्कुराती रही.
‘तो ये बताओ की उस ने सूखे वीरय से आकदी हुई निक्केर दिखा के पूच्छा, निक्केर किस की है तेरे पलंग से जो मिली है ?’
में ज़रा जोश में आ गया और बोला, ‘ऐसा हो ही नहीं सकता, उस ने कभी निक्केर पहेनी ही में रंगे हाथ पकड़ा गया.
मैंने कहा, ‘भाभी, क्या बात है ? मैंने कुच्छ ग़लत किया है ?’
उस ने कहा,’वो तो तेरे भैया नाक़की करेंगे.’
भैया का नाम आते ही में दर गया. मैंने सुमन को गिदगिड़ा के बिनती की जो भैया को ये बात ना बताएँ. तब उस ने शर्त रक्खी और सारा भेद खोल दिया.
सुमन ने बताया की भैया के वीरय में शुक्राणु नहीं थे, भैया इस से अनजान थे. भैया तीनो भाभियों को अचची तरह छोड़ते थे और हैर वक़्त ढेर सारा वीरय भी छोड़ जाते थे. लेकिन शुक्राणु बिना बच्चा हो नहीं सकता. सुमन चाहती थी की भैया चुआटी शादी ना करें. वो किसी भी तरह बच्चा पैदा करने को तुली थी. इस के वास्ते दूर जाने की ज़रूर कहाँ थी, में जो मोज़ूड़ था ? सुमन ने तय किया की वो मुज़ से छुड़वाएगी और मा बनेगी.
अब सवाल उठा मेरी मंज़ूरी का. में कहीं ना बोल दूं तो ? भैया को बता दूं तो ? मुझे इसी लिए बसंती की जाल में फासया गया था.
बयान सुन कर मैंने हास के कहा ‘भाभी, तुज़े इतना कष्ट लेने की क्या ज़रूरत थी ? तू ने कहीं भी, कभी भी कहा होता तो में तुज़े छोड़ने का इनकार ना करता, तू चीज़ ऐसी मस्त हो.’
उस का चहेरा लाल ला हो गया, वो बोली, ‘रहने भी दो, ज़ूते कहीं के. आए बड़े छोड़ने वाले. छोड़ ने के वास्ते लंड चाहिए और बसंती तो कहती थी की अभी तो तुमारी नुन्नी है उस को छूट का रास्ता मालूम नहीं था. सच्ची बात ना ?’
मैंने कहा, ‘दिखा दूं अभी नुन्नी है या लंड ?’
‘ना बाबा, ना. अभी नहीं. मुझे सब सावधानी से करना होगा. अब तू चुप रहेना, में ही मौक़ा मिलने पैर आ जौंगी और हम करेंगे की तेरी नुन्नी है
दोस्तो, दो दिन बाद भैया दूसरे गाँव गाये तीन दिन के लिए उन के जाने के बाद दोपहर को वो मेरे कमरे में चली आई. में कुच्छ पूचछुन इस से पहले वो बोली, ‘कल रात तुमरे भैया ने मुझे तीन बार छोड़ा है सो आज में तुम से गर्भवती बन जाओउं तो किसी को शक नहीं पड़ेगा. और दिन में आने की वजह भी यही है की कोई शक ना करे.’
वो मुज़ से छिपक गयी और मुँह से मुँह लगा कर फ़्रेंच क़िसस कर ने लगी मैंने उस की पतली कमर पैर हाथ रख दिए मुँह खोल कर हम ने जीभ लड़ाई. मेरी जीभ होठों बीच ले कर वो चुस ने लगी मेरे हाथ सरकते हुए उस के नितंब पैर पहुँचे. भारी नितंब को सहलाते सहलाते में उस की सारी और घाघारी उपर तरफ़ उठाने लगा. एक हाथ से वो मेरा लंड सहलाती रही. कुच्छ देर में मेरे हाथ उस के नंगे नितंब पैर फिसल ने लगे तो पाजामा की नदी खोल उस ने नंगा लांद मुट्ठि में ले लिया.
में उसको पलंग पर ले गया और मेरी गोद में बिताया. लंड मुट्ठि में पकड़े हुए उस ने फ़्रेंच क़िसस चालू रक्खी. मैंने ब्लौसे के हूक खोले और ब्रा उपर से स्तन दबाए. लंड छोड़ उस ने अपने आप ब्रा का हॉक खोल कर ब्रा उतर फेंकी. उस के नंगे स्तन मेरी हथेलिओं में समा गाये शंकु आकर के सुमन के स्तन चौदह साल की लड़की के स्तन जैसे छ्होटे और कड़े थे. अरेओला भी छोटी सी थी जिस के बीच नोकदर निपपले लगी हुई थी. मैंने निपपले को छिपति में लिया तो सुमन बोल उठी, ‘ज़रा होले से. मेरी निपपलेस और क्लटोरिस बहुत सेंसीटिवे है उंगली का स्पर्श सहन नहीं कर सकती.’ उस के बाद मैंने निपपले मुँह में लिया और चूस.
में आप को बता दूं की सुमन भाभी कैसी थी. पाँच फ़ीट पाँच इंच की लंबाई के साथ वज़न था साथ किलो. बदन पतला और गोरा था. चहेरा लुंब गोल तोड़ा सा नरगिस जैसा. आँखें बड़ी बड़ी और काली. बल काले , रेशमी और लुंबे. सीने पैर छ्होटे छ्होटे दो स्तन जिसे वो हमेशा ब्रा से धके रखती थी. पेट बिल्कुल सपाट था. हाथ पाँव सूदोल थे. नितंब गोल और भारी थे. कमर पतली थी. वो जब हसती थी तब गालों में खड्ढे पड़ते थे.
मैंने स्तन पकड़े तो उस ने लंड थाम लिया और बोली, ‘देवर्जी, तुम तो तुमरे भीया जैसे बड़े हो गाये हो. वाकई ये तेरी नुन्नी नहीं बल्कि लंड है और वो भी कितना तगड़ा ? हाय राम, अब ना तड़पाओ, जलदी करो.’
मैंने उसे लेता दिया. ख़ुद उस ने घाघरा उपर उठाया, जांघें छड़ी की और पाँव अड्धार लिए में उस की भोस देख के दंग रह गया. स्तन के माफ़िक सुमन की भोस भी चौदह साल की लड़की की भोस जितनी छोटी थी. फ़र्क इतना था की सुमन की मोन्स पैर काले ज़नट थे और क्लटोरिस लुंबी और मोटी थी. भीया का लंड वो कैसे ले पति थी ये मेरी समाज में आ ना सका. में उस की जांघों बीच आ गया. उस ने अपने हाथों से भोस के होत चौड़े पकड़ रक्खे तो मैंने लंड पकड़ कर सारी भोस पैर रग़ादा. उस के नितंब हिल ने लगे. अब की बार मुझे पता था की क्या करना है मैंने लंड का माता छूट के मुँह में घुसाया और लंड हाथ से छोड़ दिया. छूट ने लंड पकड़े रक्खा. हाथों के बल आगे ज़ुक कर मैंने मेरे हिप्स से ऐसा धक्का लगाया की सारा लंड छूट में उतर गया. मोन्स से मोन्स टकराई, लंड तमाक तुमक कर ने लगा और छूट में फटक फटक हो ने लगा.
में काफ़ी उत्तेजित हुआ था इसी लिए रुक सका नहीं. पूरा लंड खींच कर ज़ोरदार धक्के से मैंने सुमन को छोड़ ना शुरू किया. अपने छूटड़ उठा उठा के वो सहयोग देने लगी छूट में से और लंड में से चिकना पानी बहाने लगा. उस के मुँह से निकलती आााह जैसी आवाज़ और छूट की पूच्च पूच्च सी आवाज़ से कामरा भर गया.
पूरी बीस मिनिट तक मैंने सुमन भाभी की छूट मारी. दरमियाँ वो दो बार ज़ड़ी. आख़िर उस ने छूट ऐसी सीकुडी की अंदर बाहर आते जाते लंड की टोपी छाड़ उतर करने लगी मानो की छूट मूट मार रही हो. ये हरकट में बारदस्त नहीं कर सका, में ज़ोर से ज़रा. ज़र्रटे वक़्त मैंने लंड को छूट की गहराई में ज़ोर से दबा र्खा था और टोपी इतना ज़ोर से खीछी गयी थी की दो दिन तक लोडे में दर्द रहा. वीरय छोड़ के मैंने लंड निकाला, हालन की वो अभी भी ताना हुआ था. सुमन टाँगें उठाए लेती रही कोई दस मिनिट तक उस ने छूट से वीरय निकल ने ना दिया.
दोस्तो, क्या बतौँ ? उस दिन के बाद भैया आने तक हैर रोज़ सुमन मेरे से छुड़वाटी रही. नसीब का करना था की वो प्रेज्ञांत हो गयी फमिल्य में आनंद आनंद हो गया. सब ने सुमन भाभी को बढ़ाई दी. भाहिया सीना तां के मुच मरोड़ ते रहे. सविता भाभी और चंपा भाभी की हालत ओर बिगड़ गयी इतना अचच्ा था की प्रेज्नांस्य के बहाने सुमन ने छुड़वा ना माना कर दिया था, भैया के पास डूसरी दो नो को छोड़े सिवा कोई चारा ना था.
जिस दिन भैया सुमन भाभी को डॉकटोर के पास ले आए उसी दिन शाम वो मेरे पास आई. गभड़ती हुई वो बोली, ‘मंगल, मुझे दर है की सविता और चंपा को शक पड़ता है हमारे बारे में.’
सुन कर मुझे पसीना आ गया. भैया जान जाय तो आवश्य हम दोनो को जान से मार डाले. मैंने पूच्छा, ‘क्या करेंगे अब ?’
‘एक ही रास्ता है वो सोच के बोली.
रास्ता है?’
‘तुज़े उन दोनो को भी छोड़ना पड़ेगा. छोड़ेगा?’
‘भाभी, तुज़े छोड़ ने बाद डूसरी को छोड़ ने का दिल नहीं होता. लेकिन क्या करें ? तू जो कहे वैसा में करूँगा.’ मैंने बाज़ी सुमन के हाथों छोड़ दी.
सुमन ने प्लान बनाया. रात को जिस भाभी को भैया छोड़े वो भही दूसरे दिन मेरे पास चली आए. किसी को शक ना पड़े इस लिए तीनो एक साथ महेमन वाले घर आए लेकिन में छोदुं एक को ही.
थोड़े दिन बाद चंपा भाभी की बारी आई. महवरी आए तेरह डिनहुए थे. सुमन और सविता दूसरे कमरे में बही और चंपा मेरे कमरे में चली आई.
आते ही उस ने कपड़े निकल ना शुरू किया. मैंने कहा, ‘भाभी, ये मुझे करने दे.’ आलिनगान में ले कर मैंने फ़्रेंच किस किया तो वो तड़प उठी. समय की परवाह किए बिना मैंने उसे ख़ूब चूमा. उस का बदन ढीला पद गया. मैंने उसे पलंग पैर लेता दिया और होले होले सब कपड़े उतर दिए मेरा मुँह एक निपपले पैर छोंत गया, एक हाथ स्तन दबाने लगा, दूसरा क्लटोरिस के साथ खेलने लगा. थोड़ी ही देर में वो गरम हो गयी
उस ने ख़ुद टांगे उठाई और चौड़ी पकड़ रक्खी. में बीच में आ गया. एक दो बार भोस की दरार में लंड का मट्ता रग़ादा तो चंपा के नितंब डोलने लगे. इतना हो ने पैर भी उस ने शर्म से अपनी आँखें पैर हाथ रक्खे हुए थे. ज़्यादा देर किए बीन्सा मैंने लंड पकड़ कर छूट पैर टिकया और होले से अंदर डाला. चंपा की छूट सुमन की छूट जितनी सीकुडी हुई ना थी लेकिन काफ़ी तिघ्ट थी और लंड पैर उस की अचची पकड़ थी. मैंने धीरे धक्के से चंपा को आधे घंटे तक छोड़ा. इस के दौरान वो दो बार ज़ड़ी. मैंने धक्के किर आफ़्तर बधाई तोचंपा मुज़ से लिपट गयी और मेरे साथ साथ ज़ोर से ज़ड़ी. ताकि हुई वो पलंग पैर लेती रही, मेईन कपड़े पहन कर खेतों मे चला गया.
दूसरे दिन सुमन अकेली आई कहने लगी ‘कल की तेरी छुड़ाई से चंपा बहुत ख़ुश है उस ने कहा है की जब चाहे मे समाज गया.
अपनी बारी के लिए सविता को पंद्रह दिन रह देखनी पड़ी. आख़िर वो दिन आ भी गया. सविता को मैंने हमेशा मा के रूप में देखा था इस लिए उस की छुड़ाई का ख़याल मुझे अचच्ा नहीं लगता था. लेकिन दूसरा चारा कहाँ था ?
हम अकेले होते ही सविता ने आँखें मूँद ली. मेरा मुँह स्तन पैर छिपक गया. मुझे बाद में पता चला की सविता की चाबी उस के स्तन थे. इस तरफ़ मैंने स्तन चूसाना शुरू किया तो उस तरफ़ उस की भस ने काम रस का फ़ावरा छोड़ दिया. मेरा लंड कुच्छ आधा ताना था.और ज़्यादा अकदने की गुंजाइश ना थी. लंड छूट में आसानी से घुस ना सका. हाथ से पकड़ कर धकेल कर मट्ता छूट में पैठा की सविता ने छूट सिकोडी. तुमका लगा कर लंड ने जवाब दिया. इस तरह का प्रेमलप लंड छूट के बीच होता रहा और लंड ज़्यादा से ज़्यादा अकदता रहा. आख़िर जब वो पूरा टन गया तब मैंने सविता के पाँव मेरे कंधे पैर लिए और लंबे तल्ले से उसे छोड़ने लगा. सविता की छूट इतनी तिघ्ट नहीं थी लेकिन संकोचन कर के लंड को दबाने की त्रिक्क सविता अचची तरह जानती थी. बीस मिनुटे की छुड़ाई में वो दो बार ज़ड़ी. मैंने भी पिचकारी छोड़ दी और उतरा.
दूसरे दिन सुमन वही संदेशा लाई जो की चंपा ने भेजा था. तीनो भाभिओं ने मुझे छोड़ने का इज़ारा दे दिया था.
अब तीन भाभिओं और चौथा में, हम में एक समजौता हुआ की कोई ये राज़ खोलेगा नहीं. सुमन ने भैया से चुदवाना बंद किया था लेकिन मुज़ से नहीं. एक के बाद एक ऐसे में तीनो को छोड़ता रहा. भगवान कृपा से दूसरी दोनो भी प्रेज्ञांत हो गयी भैया के आनंद की सीमा ना रही.
समय आने पर सुमन और सविता ने लड़कों को जन्म दिया तो चंपा ने लड़की को. भैया ने बड़ी दावत दी और सारे गाओं में मिठाई बाँटी. अचच्ा था की कोई मुझे याद करता नहीं था. भाभीयो की सेवा में बसंती भी आ गयी थी और हमारी रेगूलर छुड़ाई चल रही थी. मैंने शादी ना करने का निश्चय कर लिया.
सब का संसार आनंद से चलता है लेकिन मेरे वास्ते एक बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है भैया सब बच्चों को बड़े प्यार से रखते है लेकिन कभी कभी वो जब उन से मार पीट करते है तब मेरा ख़ून उबल जाता है और मुझे सहन करना मुश्किल हो जाता है दिल करता है की उस के हाथ पकड़ लूं और बोलूं, ‘रह ने दो, ख़बरदार मेरे बच्चे को हाथ लगाया तो.’
ऐसा बोलने की हिम्मत अब तक मैंने जुट नहीं पाई.